Lunar Eclipse of 2021 : हर साल क्यों लगते हैं ग्रहण, 19 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण क्यों है खास
- 19 नवंबर को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ये सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा, जिसकी अवधि काल लगभग 6 घंटे होगी. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण हर साल लगते है. ग्रहण का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ग्रहण क्यों लगते हैं.

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि यानी 19 नवंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है. साथ ही यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण भी है. इस ग्रहण का प्रभाव कई राशियों पर पड़ने वाला है. ग्रहण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खगोलीय घटना मानी जाती है. 19 नवंबर को लगने वाले ग्रहण के दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुजरेगी. इस ग्रहण में चांद का रंग सुर्ख लाल होगा. वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण के दौरान सूर्य या चंद्रमा कष्टकारी स्थिति में होते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं. इसलिए ग्रहण को धार्मिक रूप से अशुभ माना जाता है और इस दौरान कोई शुभ काम नहीं किए जाते न ही भगवान की पूजा की जाती है.
वैसे तो हर साल चंद ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगते हैं और लोग ग्रहण के सूतक काल से लेकर कई नियमों का पालन करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर ग्रहण लगते क्यों हैं. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है. आइये जानते हैं ग्रहण क्या होता है और क्यों हर साल लगता है ग्रहण.
ग्रहण लगने का कारण धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अलग अलग है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से में ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है. इस दौरान बस ग्रहण के दौरान उसे खुली आंखों से देखने के लिए मनाही की जाती है.
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कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के बाद अमृत को लेकर देव और दानवों के बीच विवाद शुरू हुआ तो भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत कलश लेकर बारी बारी से सबको अमृत पिलाने के लिए कहा. मोहिनी को देखकर सभी दानव मोहित हो गए थे, इसलिए उन्होंने मोहिनी की बात मान ली और चुपचाप अलग जाकर बैठ गए. मोहिनी ने पहले देवताओं को अमृतपान पिलाना शुरू किया. इस बीच स्वर्भानु नामक राक्षस को मोहिनी की चाल का आभास हो गया और वो चुपचाप देवताओं के बीच जाकर बैठ गया.
धोखे से मोहिनी बने विष्णु भगवान ने उसे भी अमृत पिला दिया. तभी देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे देख लिया और भगवान विष्णु को बता दिया. क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से दानव का गला काट दिया. लेकिन तब तक दानव अमृत के कुछ घूंट पी चुका था, इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई. इस घटना के लिए राहु और केतु ने सूर्य और चंद्रमा को जिम्मेदार ठहराया. इसलिए हर साल पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण और अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है. कहा जता है कि ग्रहण के दौरान हमारे भगवान भ कष्ट में होते हैं. यही कारण है कि ग्रहण पर भगवान की पूजा नहीं की जाती है.
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