रांची : गुड़ तिल की मिठास, पोंगल बिहू और मकर संक्रांति का पर्व है खास

Smart News Team, Last updated: Thu, 7th Jan 2021, 5:25 PM IST
  • सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बेहद खास माना गया है. दान धर्म के लिए मशहूर इस पर्व पर सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस पर्व पर नए चावल की खिचड़ी के साथ ही गुड और तिल का भी दान किए जाने की परंपरा है.
पर्व पर नए चावल की खिचड़ी के साथ ही गुड और तिल का भी दान किए जाने की परंपरा है

रांची: मान्यता है कि इस दिन महाभारत काल के भीष्म पितामह ने पर्व की महत्ता को देखते हुए अपने शरीर का त्याग किया था. इसके साथ ही ज्योतिष मान्यता यह है कि मकर संक्रांति पर्व के दिन सूर्य भगवान धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस कारण इस संक्रांति को मकर संक्रांति कहा जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि खरमास के समापन के बाद मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. यही एक ऐसा पर्व है जो पूरे देश में एक साथ मनाया जाता है.

उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड मध्य प्रदेश राजस्थान आदि प्रांतों में इसे मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाते हैं तो दक्षिण भारत के राज्यों में इसे पोंगल तथा पंजाब प्रांत में ऐसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है. असम राज्य में इस पर्व को बिहू के रूप में मनाते हैं. खास बात यह है कि इस पर्व को मनाने वाले भले ही अलग-अलग नाम से इस पर्व को मनाते हैं लेकिन इस पर्व में गुड़ और तिल की मिठास के अलावा सूर्य देव की उपासना और दान दक्षिणा ही मूल मंत्र है.

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धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के पर्व पर प्रातः सूर्य को जल अर्पण करने से मनोकामना पूरी होती है. सूर्य देव के पूजन के बाद तिल के बने लड्डू अनाज वस्त्र के दान देने से दरिद्रता दूर होती है. यह भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन से सूर्य का आकार प्रतिदिन तिल के बराबर बढ़ने लगता है.

 

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