चिराग की लालू और तेजस्वी से फोन पर बातचीत, बिहार में राजनीतिक हलचल शुरू

Smart News Team, Last updated: Tue, 13th Jul 2021, 8:05 AM IST
बिहार की राजनीती में चिराग की लालू यादव और तेजस्वी यादव से बातचीत चर्चा का विषय बानी हुई है. चाचा पशुपति पारस के विद्रोह के बाद से ही चिराग अलग-थलग नजर आ रहे हैं. उनके सामने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की बड़ी चुनौती है.
चिराग पासवान ने लालू यादव और तेजस्वी से फ़ोन पर बात की 

पटना. सांसद पशुपति पारस के विद्रोह और उनके केंद्रीय मंत्री बनने के बाद चिराग पासवान बिहार की राजनीति में अलग थलग दिखाई दे रहे हैं. इसी बीच चिराग पासवान ने नई दिल्ली में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से फोन पर बातचीत की. चिराग पासवान की बातचीत से बिहार की राजनीति में नए समीकरणों और अटकलों का बाजार गर्म है. तेजस्वी यादव पहले ही सार्वजनिक रूप से चिराग को अपने साथ आने का न्योता दे चुके हैं.

जमुई से एलजेपी सांसद चिराग पासवान इन दिनों बिहार में आशिर्वाद यात्रा निकालने के बाद दिल्ली लौट गए हैं. एलजेपी नेता अशरफ अंसारी ने चिराग पासवान की लालू यादव और तेजस्वी यादव से बातचीत की पुष्टि की है. चिराग गुट के प्रदेश अध्यक्ष बने राजू तिवारी ने कहा कि वह दोबारा गुरुवार या शुक्रवार को बिहार लौटेंगे और यात्रा फिर से आशीर्वाद यात्रा शुरू करेंगे. पार्टी पर कब्जे को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच नूराकुश्ती चल रही है. 

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पार्टी कब्जे को लेकर चल रही लड़ाई के बीच चिराग को हाईकोर्ट से झटका भी लगा है. लोकसभा अध्यक्ष ने चिराग के दिवंगत पिता राम विलास पासवान द्वारा बनाई गई एलजेपी पार्टी का नेता चाचा पारस को घोषित किया था. जिसके खिलाफ पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

आरजेडी बिहार की राजनीती में अलग-थलग पड़े चिराग पासवान को साधने की कोशिश कर रही है. राजद नेता व पूर्व मंत्री नेता श्याम रजक ने दिल्ली में चिराग पासवान की मां से मिलने उनके आवास पर मुलाक़ात की थी. चिराग का राजद के साथ आने के सवाल पर रजक ने कहा कि लोहिया और अंबेडकर की विचारधारा पर चलने वाले हर व्यक्ति का हम स्वागत करते हैं. चाहे वह चाहे चिराग पासवान हों या कोई और नेता.

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पिता राम विलास पासवान के निधन के बाद से ही चिराग राजनितिक जीवन के शुरुआती दौर में ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. पिता की बनाई पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया है. 38 वर्षीय नेता चिराग पासवान के लिए यह कठिन वक्त है. उनके पास पार्टी को फिर से एकजुट करने या अपने पिता की विरासत को आगे बढाने की बड़ी चुनौती है. उन्हें दलित राजनीती को अपने पक्ष में करने के लिए खुद को साबित करना पड़ेगा.

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