ADDL DY CAG बोले- वित्तीय संकट की ओर बढ़ रहा बिहार, बजट यथार्थ से दूर

Smart News Team, Last updated: Wed, 14th Jul 2021, 9:44 PM IST
  • देश के एडिशनल डिप्टी सीएजी राकेश मोहन ने पटना में कहा है कि बिहार वित्तीय संकट की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उपलब्ध फंड और कमाई का हिसाब किए बिना भारी खर्च का बजट पेश कर देती है. ऊपर से कई विभाग आवंटित फंड का चौथाई हिस्सा खर्च नहीं कर पाते.
देश के एडिशनल डिप्टी सीएजी राकेश मोहन ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाया है जिस दौरान राज्य के वित्त मंत्री सुशील मोदी थे.

पटना.  सरकारी खर्चों का हिसाब-किताब देखने वाली संस्था नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने कहा है कि बिहार वित्तीय संकट की ओर बढ़ रहा है क्योंकि राज्य सरकार ऐसा बजट बनाती है जो यथार्थ से दूर है. भारत के अपर उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राकेश मोहन ने बुधवार को पटना में कहा कि 2018-19 में बिहार का राजस्व सरप्लस था लेकिन  2019-20 में राजस्व घाटा हो रहा है जबकि 2019-20 में कोरोना का बहुत असर नहीं था. 

बिहार ने 2018-19 में 6897 करोड़ का सरप्लस दिया था जबकि 2019-20 में लगभग 2000 करोड़ का बजटीय घाटा होने का अनुमान है. बिहार में इस दौरान सुशील कुमार मोदी वित्त मंत्री थे जो नीतीश कुमार सरकार में सबसे लंबे समय तक डिप्टी सीएम पद पर थे. फिलहाल मोदी बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं.

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राकेश मोहन ने मंगलवार को डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद के साथ-साथ वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ से भी मुलाकात की. मोहन ने मीडिया के साथ एक अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के शीर्ष नेताओं और अधिकारियों को राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर अपनी चिंता जता दी है और कहा है कि सरकारी आय बढ़ाने के रास्ते बनाने चाहिए. 

उन्होंने कहा कि डर इस बात का है कि 2020-21 में राजस्व घाटा कई गुना बढ़ जाएगा क्योंकि इस दौरान कोरोना लॉकडाउन भी लगा था. सीएजी में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रभारी राकेश मोहन ने बजट में बढ़ा-चढ़ाकर खर्च का अनुमान दिखाने लेकिन असल में बहुत कम खर्च करने के चलन पर भी नाखुशी जाहिर की.  

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मीडिया से बातचीत के दौरान बिहार के महालेखाकार यानी एजी राम अवतार शर्मा भी मौजूद थे जो बिहार के आर्थिक हालात पर 2019-20 की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. मोहन ने कहा- हम कह सकते हैं कि बिहार वित्तीय संकट की ओर बढ़ रहा है. जब राज्य बिना कोरोना वाले साल में राजस्व घाटा का संकेत दिखा रहा है तो साफ है कि उसके पास बजट में खर्च की घोषणाओं के लिए बहुत पैसा नहीं है. राज्य का राजस्व कम हो रहा है."

उन्होंने कहा कि 2018-19 का बजट 2,09.490 करोड़ का था लेकिन असल में खर्च हुए मात्र 1.60 लाख करोड़. 49000 करोड़ खर्च नहीं हुआ जो बजट का 23 परसेंट है. 2019-20 में अनुमान है कि बजट का 30 परसेंट से ज्यादा खर्च ही नहीं हुआ हो. कई विभाग आवंटित फंड का 40-40 परसेंट तक खर्च ही नहीं कर पाए हैं. ये बिल्कुल गलत है क्योंकि बिना उपलब्ध फंड को ध्यान में रखे हाल के वर्षों में बजट बनाया जा रहा है. 

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मोहन ने कहा कि राज्य सरकार के कई विभाग तो खर्च का ढंग से हिसाब तक नहीं दे रहे हैं जिससे ऑडिट हो सके. उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग, शहरी विकास विभाग, सूचना और जनसंपर्क विभाग याद दिलाने के बाद भी सही तरीके से रिकॉर्ड नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभागों से रिकॉर्ड लेने में आम तौर पर दिक्कत होती है लेकिन कुछ विभागों का मसला बहुत ही गंभीर है.

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