Patna AIIMS Study: कैलकुलेशन कैपिसिटी को बेहतर बनाती है दिन में झपकी लेना

ABHINAV AZAD, Last updated: Mon, 15th Nov 2021, 11:42 AM IST
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) पटना के अध्ययन में पाया गया है कि दिन में झपकी लेना ह्यूमन कैलकुलेशन कैपिसिटी को बेहतर बनाती है. साथ ही ऐसे शख्स किसी काम को वह बेहतर तरीके से कर पाते हैं.
(प्रतीकात्मक फोटो)

पटना. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक अध्ययन में पाया गया है कि दिन के दौरान की झपकी मानव संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाती है. खासतौर पर कैलकुलेशन करने की क्षमता और ड्राइविंग आदि को बेहतर बनाती है. पटना एम्स ने 18 से 24 वर्ष आयु वर्ग के 68 स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं पर यह अध्ययन किया. इस अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने छोटी झपकी ली, वे जागने की अवधि की तुलना में समस्याओं को हल करने और कार्य को पूरा करने में काफी बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

एम्स-पटना में फिजियोलॉजी विभाग के सह-लेखक और अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ कमलेश झा ने कहा कि इस अध्ययन में पाया गया कि दोनों धीमी तरंग नींद, जिसे गहरी नींद के रूप में भी जाना जाता है, साथ ही रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) नींद, एक ऐसा चरण जब एक व्यक्ति नींद में सपने देखता है, दिन के समय झपकी ने अधूरे संख्यात्मक तार्किक कार्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव दिखाया है. श्री झा ने कहा कि यह हालांकि अंतिम परिणाम नहीं है. हम अपने अध्ययन को जारी रखना चाहते हैं और शोध के लिए सरकारी धन की मांग करेंगे. हम अधिक स्वयंसेवकों को शामिल करके अध्ययन के दायरे को व्यापक बनाना चाहेंगे ताकि हमें बेहतर परिणाम मिल सके.

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दरअसल, इस शोध में सभी प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया. उन्हें सुडोकू का एक मानक सेट दिया गया, जो तार्किक सोच पर आधारित एक संख्या गेम है. साथ ही इसे डिफिकल्टी लेवल पर बांटा गया. प्रत्येक समूह के प्रतिभागियों को प्रत्येक स्तर के लिए 10-12 मिनट का समय दिया गया था. जब वे कठिनाई के एक निश्चित स्तर पर फंस गए, तो परीक्षण समूह को झपकी लेने की अनुमति दी गई, जबकि दूसरे समूह को जागने की अनुमति दी गई. तकरीबन एक घंटे तक सोने के बाद प्रतिभागियों को जब दोबारा सुडोकू का सेट दिया गया तो प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, जिसे करने में पहले वह फंसे थे.

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