ASER report 2021: बिहार में स्कूली शिक्षा चौपट, 73.5 प्रतिशत बच्चे निजी ट्यूशन में करते हैं पढ़ाई

Uttam Kumar, Last updated: Mon, 22nd Nov 2021, 10:31 AM IST
  • असर रिपोर्ट 2021 के मुताबिक पूरे देश भर में सबसे ज्यादा बिहार और बंगाल के बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल में मोटी रकम देने के बाद भी निजी ट्यूशन कर रहे हैं. वहीं अगर बात बिहार की करें तो बिहार विद्यालयों में नमांकित 73.5 प्रतिशत बच्चे निजी ट्यूशन पढ़ते हैं. 
बिहार में 73.5 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई के लिए निजी ट्यूशन करते हैं.(प्रतीकात्मक फोटो)

पटना. बिहार में स्कूली शिक्षा का हालत बहुत ही दयनीय है. पूरे देश भर में सबसे ज्यादा बिहार और बंगाल के बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल में मोटी रकम देने के बाद भी निजी ट्यूशन कर रहे हैं. पिछले तीन- चार साल में केरल को छोड़कर देश के सभी राज्यों में स्कूली बच्चों का निजी ट्यूशन लेने में वृद्धि हुई है. बुधवार को जारी हुए स्वयंसेवी संगठन असर 2021 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. 

दरअसल स्वयंसेवी संगठन प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संगठन है. इस संघटन की तरफ से बुधवार असर 2021 (ASER report 2021) रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में स्कूली शिक्षा बहुत ही चिंताजनक है. असर की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल में मोटी फीस भरने के बावजूद निजी ट्यूशन लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. असर की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर 30 फीसदी ही बच्चे ट्यूशन लेते थे. लेकिन साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 40 फीसदी पहुंच गया है. ट्यूशन लेने वालों में सरकारी और निजी स्कूलों के छात्र – छात्राएं दोनों ही शामिल हैं. 

पटना में ताबड़तोड़ छापेमारी: 300 लीटर शराब जब्त, रेलवे गार्ड, होटल मैनेजर सहित 55 गिरफ्तार

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कम लिखे माता – पिता के बच्चों में ट्यूशन पढ़ने की प्रवृति अधिक है. ऐसे परिवारों के बच्चों में जहां 12.6 फीसदी की वृद्धि हुई है, वहीं पढ़े – लिखे माता पिता के बच्चों भी निजी ट्यूशन लेने में पीछे नहीं है. ऐसे बच्चों के आंकड़े में 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. वहीं अगर बात बिहार की करें तो बिहार विद्यालयों में नमांकित 64.3 फीसदी बच्चे वर्ष 2020 से ट्यूशन पढ़ रहे हैं. जबकि यह आंकड़ा 2021 में 73.5 प्रतिशत बच्चे ट्यूशन लेने लगे हैं. यानी मात्र 26. 5 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिनका या तो स्कूल में होने वाली पढ़ाई पर भरोसा कायम है या खुद स्वाध्याय पर भरोसा करते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि वो निजी ट्यूशन का खर्च नहीं उठा सकते. 

बिहार में दूसरे राज्य के नंबर वाले वाहन चलाने वालों की खैर नहीं, भरना होगा भारी जुर्माना

असर 2021 की रिपोर्ट के आँकड़े स्कूल के प्रशासन के लिए चेतावनी की तरह है. इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि बच्चे सिर्फ डिग्री के लिए स्कूल में मोटी फीस भर रहे हैं. शिक्षा जगत के जानकार के मुताबिक असर रिपोर्ट से बताती है कि पढ़ाई के मामले में निजी स्कूलों के बच्चे अधिक भाग्यशाली हैं. स्वयंसेवी संगठन की तरफ से इस रिपोर्ट को 5- 16 आयुवर्ग के 3590 घरों के 4832 बच्चों के फोन से सर्वेक्षण कर तैयार किया गया है. हालांकि इस रिपोर्ट में एक अच्छी बात यह है स्कूल में बड़ी उम्र के बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 15- 16 आयुवर्ग के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नमांकन का आंकड़ा साल 2018 में 57.4 प्रतिशत था. 2021 में यह बढ़कर 67.4 हो गया है. 

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें