Bakrid 2021: क्यों मनाई जाती है बकरीद, क्या है इसका महत्व

Smart News Team, Last updated: Sat, 10th Jul 2021, 7:57 AM IST
  • इस्लाम में ईद का त्योहार बेहद खास मायने रखता है, जो साल में दो बार मनाई जाती है, जिसमें पहली ईद को ईद-उल-फितर या बड़ी ईद कहा जाता है, जबकि दूसरी ईद को बकरीद या बकरा ईद या फिर ईद-उल-जुहा कहा जाता है. चलिए आपको बताते हैं इसके क्या है मायने.
क्यों मनाई जाती है बकरीद, क्या है इसका महत्व

इस साल 2021 की बकरीद 20 या 21 जुलाई 2021 यानी मंगलवार और बुधवार को पड़ रही है. ये संभावित तारीख हैं क्योंकि सही तारीख का ऐलान ईद-उल-जुहा का चांद दिखने के बाद ही किया जाएगा. इस्लाम में ईद का त्योहार बेहद खास मायने रखता है, जो साल में दो बार मनाई जाती है, जिसमें पहली ईद को ईद-उल-फितर या बड़ी ईद कहा जाता है, जबकि दूसरी ईद को बकरीद या बकरा ईद या फिर ईद-उल-जुहा कहा जाता है. 

इसके साथ ही रमजान के बाद मीठी ईद मनाई जाती है, जिसमें सेवइयां खाने का चलन है, जबकि बकरीद पर बकरे की अपने पालतू जानवर की बलि दी जाती है, जिसको बकरीद पर कुर्बान किए गए जानवर के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. एक हिस्सा अपने के परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों को दिया जाता है. 

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साथ ही बकरीद में लोग सुबह नमाज अदा करते हैं और दुआ करते हैं. बकरीद में भी लोग मीठी ईद की तरह की सुबह उठ कर नमाज अदा करते हैं और दुआ मांगते हैं. इसके बाद आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की शुभकामनाएं देते हैं और साथ ही गोश्त की दावत देते हैं.

ये है मान्यता

बकरीद को कुर्बानी के दिन के तौर पर माना जाता है. इसको लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है. बताया जाता है कि हजरत इब्राहिम अलैय सलाम की कोई औलाद नहीं थी. वहीं काफी मन्नतें मांगने के बाद उन्हें एक बेटा इस्माइल पैदा हुआ, जो उनको बेहद प्यारा था. इस्माइल को ही आगे चलकर पैगंबर नाम से जाना जाता है. 

एक दिन इब्राहिम को अल्लाह ने ख्वाब में बोला कि उन्हें उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी चाहिए. इब्राहिम समझ गए कि अल्लाह उनसे उनके बेटे की कुर्बानी मांग रहे हैं. अल्लाह के हुक्म के आगे वे अपने जान से प्यारे बेटे की बलि देने को तैयार हो गए. वहीं कुर्बानी देते समय इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांध ली, जिससे उनकी ममता न जाग उठे. 

जैसे ही उन्होंने बेटे की कुर्बानी देने के लिए चाक़ू उठाया, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की रफ़्तार से इस्माइल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर एक मेमने को रख दिया, जब इब्राहिम ने अपनी पट्टी हटाई तो देखा कि इस्माइल खेल रहा हैं और मेमने का सिर कटा हुआ है. तभी से इस त्यौहार पर जानवर की कुर्बानी का सिलसिला चला आ रहा है.

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