IIT भागलपुर ने तैयार किया ख़ास सॉफ्टवेयर, एक क्लिक पर पता चल जायेगीं कैंसर समेत 14 बीमारियां
- भागलपुर ट्रिपल आईटी ने फेफड़े से संबंधित 14 बीमारियों का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया है. इसके माध्यम से न सिर्फ टीबी, बल्कि अस्थामा, निमोनिया, सीओपीडी, लंग्स कैंसर सहित कई बिमारियों का पता एक क्लिक पर चल जाएगा. इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) अमेरिका के 30 हजार मरीजों के 112000 एक्सरे प्लेट पर किया गया. जिसका रिजल्ट शत- प्रतिशत रहा.

पटना. भागलपुर ट्रिपल आईटी ने फेफडा से संमबंधित 14 बीमारियों का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया है. इसके माध्यम से न सिर्फ टीबी, बल्कि अस्थामा, निमोनिया, सीओपीडी, लंग्स कैंसर सहित कई बिमारियों का पता एक क्लिक पर चल जाएगा. ट्रिपल आईटी के प्राध्यापक इस पर एक साल से काम कर रहे है. इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण विदेशी डाटा और एक्सरे पर किया जा चुका है जिसका नतीजा शत – प्रतिशत आया. ट्रिपल आईटी ने पिछले साल कोरोना डिडक्शन सॉफ्टवेयर का निर्माण आविष्कार किया था, जिससे बहुत कम समय में ही कोरोना संक्रमित का पता चल जा रहा था.
भागलपुर ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. अरविंद चौबे ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण विदेशी डाटा पर पूरा हो चुका है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) अमेरिका के 30 हजार मरीजों के 112000 एक्सरे प्लेट पर इसका परीक्षण किया गया. जिसका रिजल्ट शत- प्रतिशत रहा. जल्द ही पटना एम्स सहित देश के अन्य बड़े संस्थानों से डाटा मंगाकर उस पर भी सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया जाएगा. उम्मीद है कि रिपोर्ट सकारात्मक ही आएगी. इसके सफल परीक्षण होने से मरीजों को मिनटों में पता चल जाएगा कि उनके किस फेफड़े में किस तरह की बीमारी है.
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भागलपुर ट्रिपल आईटी के सहायक प्राध्यापक डॉ. संदीप राज ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान ही जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भागलपुर से एक्सरे रिपोर्ट पर इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया गया था. उसमें भी शत- प्रतिशत टीबी की बीमारी का पता चल रहा था. जल्द ही देश के बड़े संस्थानों में इस सॉफ्टवेयर का ट्रायल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद से कराया जाएगा. इस पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा एम्स पटना और दिल्ली से भी एक्सरे रिपोर्ट मंगाई जाएगी ताकि देश की रिपोर्ट पर भी टीबी और अन्य बीमारियों का पता लगाया जा सके.
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सहायक प्राध्यापक ने दावा किया है की इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से डॉक्टरों को इन गंभीर बीमारियों के इलाज में काफी मदद मिलेगी. अभी एक्सरे जांच होने में एक दिन लग जाता है. मरीज को एक्सरे कराने के कई घंटे बाद एक्सरे प्लेट मिलता है. जिसके वजह से मरीज अगले दिन या देर शाम अपनी रिपोर्ट दिखाने डॉक्टर के पास जाते हैं. इससे पुरी जांच प्रक्रिया में आठ घंटे से ज्यादा वक्त निकल जाता है. इस सॉफ्टवेयर के सफल परीक्षण से इतना परेशानी नहीं झेलनी होगी. यह सॉफ्टवेयर कुछ ही मिनटों में पता चल जाएगा कि उनके किस फेफड़े में किस तरह की बीमारी है. उन्होंने बताया कि लोग इसे निजी तौर एक टूल्स की तरह भी इस्तेमाल कर सकते है.
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