बिहार चुनाव में तस्करों पर EC की नजर, अब तक चार लाख लीटर शराब जब्त

Smart News Team, Last updated: Sat, 17th Oct 2020, 11:02 PM IST
  • चुनाव आयोग ने बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में पहला विधानसभा चुनाव हैं। चुनाव आयोग और बिहार पुलिस के लिए चुनाव में शराब के इस्तेमाल पर रोक लगाना चुनौती होगी।
चुनाव आयोग ने 20 दिनों में जब्त की 4 लाख लीटर शराब

पटना. चुनाव आयोग के द्वारा 25 सितम्बर को बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थीं। शराबबंदी के बाद बिहार में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। शराब के जरिए मतदाताओं को प्रभावित न किया जा सके। इसके लिए चुनाव आयोग और बिहार पुलिस ने कई स्तर पर निगरानी की व्यवस्था की हैं। 26 सितम्बर से 15 अक्टूबर के बीच 410416 लीटर देसी-अंग्रेज़ी शराब बरामद की गई है। महज 20 दिनों में 4 लाख लीटर से ज्यादा शराब की बरामदगी को बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

शराबबंदी के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब के इस्तेमाल को रोकना चुनाव आयोग के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी। पिछले कुछ महीनों से राज्य के विभिन्न इलाकों में तस्करों से शराब की तस्करी में शामिल लोगों की गिरफ्तारी से यह साफ है कि चुनाव आयोग के लिए इस रोक पाना आसान नहीं होगा। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के उच्च अधिकारियों का कहा है कि राज्य में ब्यूरो की चौकसीं बढ़ने के बाद, तस्करी करने वाले लोगों ने अपने काम करने के तौर-तरीके बदलाव किया हैं। जिसे तस्करी का पता लगाने में नारकोटिक्स ब्यूरो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।

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2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान, बिहार में करीब 5,500 पंजीकृत शराब की दुकानें थीं और चुनाव आयोग ने सभी दुकानो पर सीसीटीवी से निगरानी का आदेश दिया था। फिर भी विधानसभा चुनाव के दौरान शराब के प्रयोग के बारे में शिकायतें मिली रही थीं। पुलिस के अनुसार अब बिहार के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव के लिए सतर्कता बढ़ा दी है, हालांकि कुछ समय पहले शराब माफियाओं द्वारा पुलिस पर हमला करने के कई मामले सामने आए हैं। सितम्बर की शुरुआत में पटना में पुलिसकर्मियों की पिटाई की घटना सामने आयी थीं जब शराब तस्करी के संदेह पुलिस एक जगह पर छापा मारने गए थीं।

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