बाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अब तेजी से बढ़ रहा राष्ट्रीय पक्षी मोर का कुनबा, बनेगा अधिवास क्षेत्र
- बिहार का इकलौता बाल्मीकि टाइगर रिजर्व एरिया (वीटीआर) अब राष्ट्रीय पक्षी मोर से गुलजार होने लगा है. मोर की बढ़ती संख्या को वीटीआर प्रशासन जंगल के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं. मोर की बढ़ती संख्या को देखते हुए वीटीआर प्रशासन पांच वन क्षेत्रों में मोरों के अधिवास क्षेत्रों में मोरों के अधिवास क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया है.
पटना.बिहार का इकलौता बाल्मीकि टाइगर रिजर्व एरिया (वीटीआर) अब राष्ट्रीय पक्षी मोर से गुलजार होने लगा है. वीटीआर की जंगल के साथ-साथ रिहायशी इलाकों के गांव व सरेह मोर आसानी से दिख रहे हैं. मोर की बढ़ती संख्या को वीटीआर प्रशासन जंगल के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं. मोर की बढ़ती संख्या को देखते हुए वीटीआर प्रशासन पांच वन क्षेत्रों में मोरों के अधिवास क्षेत्रों में मोरों के अधिवास क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया है.
वन प्रमंडल एक और दो के डीएफओ अम्बरीश कुमार मल्ल और डॉक्टर नीरज नारायण ने बताया कि मदनपुर वन क्षेत्र में नौरंगिया, सिरसिया उपखंड, बाल्मीकि नगर के भेड़ीहारी व हरर्नाटांड़ के जंगल तथा वन प्रमंडल एक के गोवर्धना व मंगुराहा वन क्षेत्रों में मोरों की संख्या अधिक है. अधिकारियों ने बताया कि मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित होने के बाद भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मोर को सुरक्षा प्रदान की जाएगी. इसके संरक्षण के लिए बीटीआर के वन प्रमंडल एक व दों के पांच वन क्षेत्रों का चयन मोर के अधिवास क्षेत्र के रूप मैं मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. जंगल में भटक कर रिहायशी क्षेत्र में पहुंचने वाले मोरों पर निगरानी के लिए वनकर्मियों की टीम गठित की जा रही है.
मार्च से जुलाई हे मोर का प्रजनन काल
मोर का प्रजनन काल मार्च से जुलाई तक रहता है. एक मोरनी एक बार में तीन से चार अंडे देती है. अंडे से चूजे निकालने में 20-25 दिन लग जाते हैं. मार्च तक मोरों के लिए अधिवास क्षेत्र बनाने का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. मिली जानकारी के अनुसार सामान्य तौर पर एक मोर की औसत आयु 20 साल तक होती है. लेकिन मोर चिड़ियाघरों में अधिक दिनों तक जीवित रह सकते है. एक व्यस्क मोर का वजन 4 से 6 किलो होता है. लंबाई 5 फीट तक होती है. जिसमें से 60 फिसदी पूंछ होती है.
भारत में पाए जाते हैं नीले मोर
भारत, नेपाल और श्रीलंका में नीलाम और पाए जाते हैं तथा जावा, इंडोनेशिया और म्यांमार में हरा मोर पाए जाते हैं. इसके अलावा भी अफ्रीका के वर्षा वनों में कोगो मोर मिलते हैं. भारत में मोर हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, वृंदावन और तमिलनाडु में सबसे अधिक पाए जाते हैं.
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