नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे गरीब राज्य, CM नीतीश ने साधी चुप्पी, कहा- देखा नहीं है, देखकर बताएंगे

Uttam Kumar, Last updated: Sat, 27th Nov 2021, 8:47 AM IST
  • नीति आयोग के बहुयामी गरीब सूचनांक रिपोर्ट (एमपीआई) के अनुसार बिहार सबसे गरीब राज्यों की सूची में शामिल है. बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है. वहीं बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे अधिक है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो)

पटना. नीति आयोग के बहुयामी गरीब सूचनांक(Multidimensional Poverty Index) रिपोर्ट (एमपीआई) के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश सबसे गरीब राज्यों की सूची में शामिल है. जहां बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है, वहीं झारखंड की 42.16 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश की 37.79 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32. 67 प्रतिशत आबादी गरीब है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल से बचते दिखे. उन्होंने कहा कि हमने अभी नहीं देखा है, देख के बताएंगे. 

बिहार की स्थिति सिर्फ गरीबी में ही खराब नहीं है बिहार में कुपोषितों की संख्या भी सबसे अधिक है. बिहार के बाद इस मामले में झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान आता है. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार स्कूल में उपस्थिति, मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी और खाना पकाने के ईंधन तथा बिजली से वंचित आबादी के प्रतिशत के मामले में निचले पायदान पर है. नीति आयोग की  बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक हालात और आभाव की स्थिति को मापा जाता है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के अनुसार सूचकांक गरीबी की निगरानी करता है. साक्ष्य – आधारित(fact based) और केंद्रित हस्तक्षेप के बारे में बताता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी पीछे न छूटे. 

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नीति आयोग द्वारा जारी भारत के पहले राष्ट्रीय एमपीआई की यह आधरभूत रिपोर्ट परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस की 2015 – 16 की संदर्भ अवधि पर आधारित है. भारत के एमपीआई में तीन समान आयमों – स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है. इसका आकलन पोषण, बाल और किशोर मृत्यु डर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली आवास, संपत्ति तथा बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों केआधार पर किया जात है. वर्ष 2015 में 193 देशों द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य रूपरेखा ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों को फिर से परिभाषित किया है. 

 

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