नीतीश सरकार का फैसला, बिहार के प्राइमरी स्कूलों में होगी स्थानीय भाषा में पढ़ाई

Smart News Team, Last updated: Wed, 3rd Mar 2021, 8:58 PM IST
  • बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषा होगी. सरकार ने ये फैसला लिया है कि बिहार में प्राइमरी स्कूलों में अब भोजपुरी और मिथिला में पढ़ाई होगी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अब लर्निंग आउटपुट पर ध्यान देना चाहती है.
बिहार शिक्षा मंत्री ने बताया कि अब बिहार के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई स्थानीय भाषा में होगी.

पटना. बिहार में प्राइमरी स्कूलों में अब पढ़ाई स्थानीय भाषा में होगी. इसकी जानकारी बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने विधानसभा में दी है. विजय चौधरी ने कहा कि प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषा होगी. राज्य सरकार ने इसका निर्णय लिया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अब लर्निंग आउटपुट पर ध्यान देना चाहती है. 

बिहार विधानसभा में बजट कार्यवाही के दौरान शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि महात्मा गांधी और फणीश्वरनाथ रेणु के आदर्शों पर चलते हुए हमने ये फैसला लिया कि अब राज्य में बच्चों को उनके आंचलिक भाषा में शिक्षा दी जाएगी. ऐसे में जो भोजपुर क्षेत्र के हैं, उन्हें भोजपुरी, जो मिथिलांचल इलाके के हैं उन्हें मिथिला में पढ़ाया जाएगा. इससे बच्चों को चीजों को समझने में आसानी होगी.

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इससे पहले बिहार विधान परिषद में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने ऐलान करते हुए कहा कि केन्द्र की तर्ज पर बिहार में एसटीईटी सर्टिफिकेट की मान्यता आजीवन होगी. विजय चौधरी ने कहा कि कक्षा 1 से 8 तक की शिक्षक नियुक्ति से जुड़े टीईटी प्रमाण पत्र की वैधता 7 साल से बढ़ाकर आजीवन करने का फैसला लिया गया है.

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इससे पहले बिहार सरकार में पिछले साल 2020 में प्रारंभिक शैक्षिक पात्रता परीक्षा और माध्यमिक शैक्षिक पात्रता परीक्षा की वैधता अवधि बढ़ाई गई थी. जिसमें 2020 में अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की खत्म हो रही अवधि को एक साल बढ़ाकर 2021 तक कर दिया गया था. बिहार सरकार के फैसले के बाद अब बिहार में एसटीईटी सर्टिफिकेट की मान्यता आजीवन होगी.

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आपको बता दें कि पिछले साल नेशनल काउंसिल फोर टीचर एजुकेशन ने टीईटी को जीवन भर के लिए मान्य करने का फैसला किया था. इससे पहले टीईटी परीक्षा पास करने के बाद सर्टिफिकेट सिर्फ सात साल के लिए मान्य होता था. हर साल केन्द्र सरकार और राज्य सरकार टीईटी परीक्षा करवाती है. इस परीक्षा में हर साल लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं.

 

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