NDA में सीट शेयरिंग का विवाद गहराया, चिराग पासवान नहीं खोल रहे हैं अपने पत्ते
- एलजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के नेता दो बार के सांसद चिराग पासवान को भी विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे ताकि राज्य में उन्हें युवा नेता के तौर पर पेश किया जा सके. उन्होंने कहा कि चिराग को चुनाव लड़ाकर नीतीश कुमार को जवाब देना चाहती थी जो बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में शामिल लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) मुश्किलों का सामना कर रही है. एलजेपी के सबसे बड़े लीडर और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नई दिल्ली में बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती हैं. इस वजह से उनके बेटे और पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान पिता की देखभाल के लिए चुनावी मौसम में बिहार से दिल्ली में हैं.
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बिना नाम लिए चिराग पासवान पर निशाना साधा है. जेडीयू ने बिहार के विकास के लिए सात निश्चय कार्यक्रम-पार्ट टू की घोषणा की है. चिराग पासवान ने सात निश्चय कार्यक्रम करने आलोचना करते हुए कहा था कि बिहार सरकार जिस सात निश्चय कार्यक्रम पर काम कर रही है वह एनडीए का एजेंडा नहीं है. उन्होंने कहा कि 2015 चुनाव में सात निश्चय कार्यक्रम महागठबंधन का एजेंडा था ना कि बीजेपी और एलजेपी का . बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में महागठबंधन में उस वक्त जेडीयू के साथ आरजेडी और कांग्रेस थी.
शुक्रवार को बिहार चुनाव के तारीखों की घोषणा होने के बाद चिराग ने इसका स्वागत किया. चिराग ने ट्वीट किया, "2020 का बिहार चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित बिहार के सपने का अवसर है और रामविलास पासवान ने लोगों के लिए पिछले 50 साल से काम कर रहे हैं." चिराग ने अपने ट्वीट में नीतीश कुमार का नाम एक बार फिर नहीं लिया. यह एलजेपी के रणनीति रही है. एलजेपी जहां नीतीश कुमार की लगातार आलोचना करती है लेकिन दूसरी ओर नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करती है.
बीजेपी इस मामले में संतुलन बनाकर चल रही है जबकि जेडीयू लगातार एलजेपी प्रमुख की आलोचना कर रही है. हाल ने उसने पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पर भी निशाना साधा. एलजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान कुछ समय के लिए वेट एंड वॉच मोड में थे क्योंकि एनडीए में सीट शेयरिंग अभी बात चल रही है.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “एलजेपी बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसकी अपनी दृष्टि भी है. एलजेपी एक एनडीए की पुरानी सहयोगी है. चिराग पासवान को उन सीटों पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत गया है, जिन पर पार्टी को चुनाव लड़ना चाहिए. तीन-चार दिनों में सीट शेयरिंग का मुद्दा हल होने की उम्मीद है. सीट बंटवारा का मुद्दा बीजेपी और जेडीयू के बीच भी बहुत आसान नहीं था.
एलजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के नेता दो बार के सांसद चिराग पासवान को भी विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे ताकि राज्य में उन्हें युवा नेता के तौर पर पेश किया जा सके. उन्होंने कहा कि चिराग को चुनाव लड़ाकर नीतीश कुमार को जवाब देना चाहती थी जो बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. बता दें कि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं.
हालांकि नीतीश कुमार ने चिराग पासवान द्वारा किए गए हमलों को हल्के में लेते हुए कहा है कि कुछ लोगों को निराधार बयान देने की आदत है, लेकिन लोगों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मैं अपने काम पर ध्यान केंद्रित करता हूं और इसे लोगों पर छोड़ता हूं. यह बात नीतीश ने चुनावी घोषणा के बाद कही.
एएन सिन्हा के सामाजिक विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर कहते हैं, सीट बंटवारा कैसे होता है, यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि जेडीयू को रोकने के लिए चिराग लगातार अपना कार्ड खेल रहे हैं और यह बिना किसी कारण के नहीं हो सकता है.
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