बिहार चुनाव: पहले चरण में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती, 9 सीटें दांव पर

Smart News Team, Last updated: Tue, 27th Oct 2020, 6:51 PM IST
  • बिहार में कांग्रेस के सामने पहले चरण के चुनाव में अपनी 9 सीटें बचाने की बड़ी चुनौती होंगी. हालांकि इनमें 8 सीटें पिछले चुनाव में इनकी जीती हुई हैं.
कांग्रेस पार्टी

पटना: बिहार में बुधवार 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए मतदान होना है. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन और एनडीए समेत विभिन्न दलों के लिए सारे समीकरण बदल से गए हैं. दरअसल कांग्रेस के सामने पहले चरण के चुनाव में अपनी 9 सीटें बचाने की बड़ी चुनौती होंगी. हालांकि इनमें 8 सीटें पिछले चुनाव में इनकी जीती हुई हैं. वहीं, जदयू के विधायक मुन्ना शाही के कांग्रेस में आ जाने से एक सीटिंग सीट बढ़ गई.

पहला चरण- 71 में से 21 सीटें कांग्रेस के खाते में

2015 के चुनाव में कांग्रेस, राजद और जदयू साथ मिलकर लड़े थे. 2015 में कांग्रेस उम्मीदवारों के सामने थे भाजपा के उम्मीदवार तो कुछ पर लोजपा के प्रत्याशियों से भी टक्कर हुई थी. जिसमें कांग्रेस ने बाजी मारी थी. कांग्रेस ने 42 में 27 सीटें इस पार्टी ने जीत ली थी, लेकिन इस बार का चुनावी परिदृश्य कुछ अलग है. भाजपा तो कांग्रेस के सामने है ही जदयू भी उसके साथ विरोध में खड़ी है. इसके अलावा पिछले चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर मैदान में उतरने वाली लोजपा और रालोसपा भी अलग से मैदान में खड़ी है. पहले चरण की 71 में से 21 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं.

बिहार चुनाव: नीतीश जी शारीरिक-मानसिक रूप से थक चुके है- तेजस्वी यादव

21 सीटों में नौ विर्तमान विधायक लड़ रहे चुनाव

इस बार पहले चरण में कांग्रेस के खाते में गईं 21 सीटों में 9 वर्तमान विधायक पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें भी बरबीघा और गोबिन्दपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों को पुरानी पार्टी से ही टक्कर लेना होगा. कांग्रेस की सीटिंग सीटों में दो कुटुम्बा और सिकन्दरा के उम्मीदवारों को इसबार जदयू के साथी दल हम से मुकाबला होगा. तो वहीं, कहलगांव, बिक्रम, बक्सर, कुटुम्बा,औरंगाबाद और वजीरगंज में कांग्रेस के उम्मीदवारों को भाजपा के उम्मीदवारों के बीच भिड़ंत होगी.

बिहार चुनाव के एक दिन पहले आज तेजस्वी करेंगे युवाओं के साथ ‘नौकरी संवाद'

कुछ सीटों पर लोजपा और रालोसपा के भी उम्मीदवार चुनाव को बहुकोणीय बना सकते हैं. ये दोनों दल पिछले चुनाव में एनडीए के घटक थे. ये दल अगर अपने प्रभाव वाले वोटों को अपने साथ जोड़े रहे तो परेशानी और बढ़ेगी. हालांकि, ऐसी परिस्थिति में इसका खामियाजा दोनों गठबंधनों को भुगतना पड़ेगा.

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें