आपातकाल लोकतंत्र के लिए दाग, अब इसे लगाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकताः सुशील मोदी

Smart News Team, Last updated: Sun, 21st Mar 2021, 11:54 PM IST
  • इमरजेंसी हटने की 44वीं सालगिरह पर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद ने कहा कि इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र पर लगा बदनुमा दाग है. फिर से लगाने की कोई हिम्मत भी नहीं कर सकता है.
लगभग 18 महीनों के बाद 21 मार्च 1977 को आपातकाल को हटा दिया गया था.

पटना. आपातकाल हटने की 44वीं वर्षगांठ पर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र पर लगा ऐसा बदनुमा दाग है कि अब कोई भी राजनेता तानाशाह बनने और फिर से देश में आपातकाल लगाने की हिम्मत नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि 46 साल पहले 25 जून 1975 की आधी रात को इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही.

बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में वो सबसे काला दिन था. उन्होंने कहा कि आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे. देश को जेलखाने में तब्दील कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि नागरिक अधिकारों को निरस्त कर राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सरकार के खिलाफ मुंह खोलने वाले आम नागरिकों पर जुल्म ढाए गए.

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सुशील मोदी ने कहा कि जेपी से लेकर अटल, आडवाणी और सभी बड़े विपक्षी नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं जिसमें सबसे अहम है 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला.

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बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी की तानाशाही के के खिलाफ जेपी की नेतृत्व में लड़ाई निर्णायक मुकाम तक पहुंची. आजादी के तीस साल बाद देश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ. 

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उन्होंने कहा कि देश के लोगो में लोकतंत्र के प्रति विश्वास जागा कि बड़े से बड़े तानाशाह के खिलाफ भी शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता परिवर्तन हो सकता है. सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने 2009-10 से जेपी सेनानी सम्मान योजना के तहत 2678 सेनानियों को पेंशन देना शुरू की है. 2019-20 तक 169 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है.

 

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