वाहन जांच के नाम पर पुलिस उड़ा रही कानून की धज्जियां, बिहार सरकार को करोड़ो का नुकसान
- वाहनों की जांच में पुलिस को जिन दस्तावेजों को देखने का अधिकार नहीं है, उसकी भी वे जांच कर रहे हैं. जबकि कानून के हिसाब से नियमानुसार दस्तावेजों की जांच के बदले ट्रैफिक पुलिस को उसकी अनुशंसा डीटीओ को करनी है. ऐसा नहीं होने से बिहार सरकार को करोड़ो रूपये का नुक्सान हो रहा है.

पटना: बिहार में वाहनों की जांच के नाम पर पुलिस की मनमानी देखने को मिल रही है. राजधानी पटना में कुछ मामलों को छोड़कर अन्य जिलों में पुलिस को जिन दस्तावेजों को देखने का अधिकार नहीं है, उसकी भी वे जांच कर रहे हैं. जबकि कानून के हिसाब से नियमानुसार दस्तावेजों की जांच के बदले ट्रैफिक पुलिस को उसकी अनुशंसा डीटीओ को करनी है. लेकिन असल में पटना को छोड़कर अन्य जिलों में ऐसा नहीं हो रहा है. और इसका सबसे बड़ा हर्जाना खुद बिहार सरकार को झेलना पड़ रहा है. इसलिए परिवहन विभाग ने पुलिस को याद दिलाया है कि उन्हें किन किन नियमों के तहत गाड़ियों की जांच करनी है और किस मामले में उन्हें डीटीओ को अनुशंसा करनी है.
परिवहन विभाग ने पुलिस को दी हिदायत
विभाग ने कहा है, " अपराध एवं यातायात नियंत्रण के लिए पटना सहित पूरे राज्य में पद स्थापित पुलिसकर्मियों को मोटरयान अधिनियम 1988 के तहत दंड लगाने का अधिकार दिया गया है. पुलिस कर्मियों को साधारणतया गाड़ी की सुचारू परिचालन बनाए रखने के लिए ही लोगों से जुर्माना वसूलने की शक्ति दी गई है. अगर किसी गाड़ी की परमिट नहीं होगी तो पुलिसकर्मी उसकी गाड़ी की जांच के नाम पर जुर्माना नहीं मांग सकते हैं. इसी तरह अगर गाड़ी का बीमा नहीं हैं या फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ ही अगर कोई गाड़ी ओवरलोड जा रही है तो वे उसकी जांच के नाम पर भी जुर्माना नहीं कर सकते हैं. ऐसे दस्तावेजों की मांग के बदले पुलिस को डीटीओ से अनुशंसा करनी होगी. पटना पुलिस हर महीने इस तरह के 20 से 40 अनुशंसा डीटीओ को करती है लेकिन अन्य जिलों में ऐसा नहीं हो रहा है."
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बिहार सरकार को हो रहा करोड़ो का नुकसान
मीडिया रिपोर्ट्स के नाम पर पुलिस हेलमेट या सीट बेल्ट पहने हुए चालकों की गाड़ी पकड़ते हैं. वे सबसे पहले इंश्योरेंस, परमिट, ओवरलोड और फिटनेस प्रमाण पत्रों की मांग करते हैं. फिर भारी-भरकम जुर्माना की बात कर लोगों से पैसे लेकर बिना रसीद के ही उन्हें छोड़ दिया जाता है. इससे ना केवल लोग परेशान हो रहे हैं बल्कि बिहार सरकार को हर महीने करोड़ का नुकसान हो रहा है.
पुलिस के क्या है जांच के अधिकार
जानकारी के मुताबिक इन मामलों में पुलिस के पास वाहनों की जांच के अधिकार है. ट्राफिक नियम तोड़ना, बस में बिना टिकट के चलना, बिना लाइसेंस के अनधिकृत वाहन चलाना, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना, ओवरसाइज, ट्राफिक अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करना, एल एम वी तेज गति से चलाना, खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना, अयोग्य व्यक्ति द्वारा गाड़ी चलाना, तेज गति से गाड़ी चलाना, प्रदूषण प्रमाण पत्र, सीट बेल्ट का नहीं होना, दोपहिया ओवरलोडिंग, हेलमेट नहीं पहनना, एंबुलेंस को रास्ता नहीं देना और साइलेंट जोन में हॉर्न बजाना. इन मामलों में पुलिस के पास अधिकार है कि वे जांच कर सकती है.
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