बिहार उपचुनाव तक जातिगत जनगणना की मांग को CM नीतीश ने ठंडे बस्ते में डाला
- बिहार में उपचुनाव के लिए मतदान 30 अक्टूबर को है. तब तक के लिए जदयू ने जाति आधारित जनगणना की मांग को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है. सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को जनता दरबार के बाद कहा कि उपचुनावों के बाद इस मुद्दे (जातिगत जनगणना) को उठाया जाएगा.
पटना. बिहार उपचुनाव तक नीतीश सरकार ने जाति आधारित जनगणना की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रुख भाजपा के खिलाफ जातिगत जनगणना के मामले में नरम होता दिख रहा है. नीतीश कुमार उपचुनावों की घोषणा से पहले तक भाजपा को जातिगत जनगणना कराने के लिए चुनौती दे रहे थे. लेकिन चुनावों की डेट सामने आते ही उन्होनें इस मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. बिहार उपचुनावों में तारापुर और कुशेश्वर सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होगा. 2 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सोमवार को जनता दरबार के बाद जातिगत जनगणना को लेकर सवाल किया गया तो इस पर सीएम ने कहा कि इस मामले को उपचुनाव के बाद उठाया जाएगा. सीएम नीतीश ने कहा पहले उपचुनाव खत्म होने दें उसके बाद ही हम इस विषय (जाति आधारित जनगणना) पर बात करेंगे. सीएम ने कहा कि तब तक, इसे छोड़ दें. सीएम नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के सवाल पर इसी के साथ कहा कि हम अगले महीने सभी दलों की बैठक बुलाएंगे. सभी दलों की बैठक में जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. सीएम ने कहा कि इस मामले पर हम जो भी फैसला करेंगे वह सभी पार्टियों के हित में होगा.
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उपचुनाव में जदयू तारापुर और कुशेश्वर सीटों पर भाजपा के बाहरी समर्थन से चुनाव लड़ रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि सत्तारुढ़ पार्टी नहीं चाहती कि वह उपचुनाव में भाजपा और आरएसएस का समर्थन खो दे. बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. एससी ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए देश में जातिगत जनगणना कराने से इनकार कर दिया था.
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