बिहार चुनाव: बिना कमेटी मैदान में उतेरगी कांग्रेस, तीन साल से नहीं हुआ है गठन

Smart News Team, Last updated: Fri, 2nd Oct 2020, 11:05 PM IST
  • इस बार कांग्रेस बिना ‘सेना’ के विधानसभा चुनाव के रण में उतरेगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा को दो साल में भी प्रदेश कमेटी नहीं मिली. वर्तमान चार कार्यकारी अध्यक्षों के सुर कई मौकों पर अलग-अलग रहे हैं 
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा

पटना: बिहार चुनावों में कांग्रेस पार्टी बिना प्रदेश कमेटी के मैदान में उतरेगी. बताया जा रहा है इस बार इस बार भी कमेटी का गठन नहीं हुआ है. तीन दशक पहले बिहार में सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस तो धीरे-धीरे चुनावी मैदान में बिना बैसाखी के उतरना ही भूल गई. अब तो संगठन पर भी पार्टी की नजर कम ही है. बतौर बतौर प्रदेश अध्यक्ष दो साल से मदनमोहन झा अकेले ही प्रदेश में पार्टी का दायित्व संभाल रहे थे.

जानकारी के मुताबिक बीते तीन साल से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन नहीं हुआ. सहयोग के लिए बनाये गये चार कार्यकारी अध्यक्ष के सुर कई दफा अलग रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के बिना कमेटी के ही मैदान में उतरने की तैयारी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से डॉ. अशोक चौधरी हटे तो उनकी पूरी कमेटी भंग हो गई. जिसके बाद तत्कालीन वरीय उपाध्यक्ष कौकब कादरी को प्रभार दिया गया. वह भी एक साल तक बिना कमेटी की पार्टी चलाते रहे. अंत में 19 सितम्बर 2018 को मदनमोहन झा को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया. केन्द्रीय कमेटी ने उस समय अध्यक्ष पद के दावेदारों में चार को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.

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इस वक्त श्याम सुन्दर सिंह धीरज, डॉ. अशोक राम, कौकब कादरी और समीर सिंह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. कार्यकारी अध्यक्षों को चुनने के बाद  से पार्टी को उम्मीद होगी कि प्रदेश कमेटी बेहतर तरीके से चलेगी. लेकिन, हकीकत यह है कि आमतौर पर प्रदेश अध्यक्ष को अकेले ही नाव खेनी पड़ रही है. दरअसल, कांग्रेस के पास सत्ता से हटने के बाद भी नेताओं की कमी नहीं है. अच्छी बात यह है कि पुराने नेताओं की दूसरी पीढ़ी में अधिसंख्य कांग्रेस कल्चर से अब तक दूर नहीं हुए हैं. लिहाजा हर चुनाव में सीटें पार्टी के खाते में भले कम आयीं, लेकिन उम्मीदवारों की संख्या काफी होती है.

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