पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाकर लाखों रुपये की ठगी, दो को 4 साल की कैद

Smart News Team, Last updated: Tue, 3rd Aug 2021, 11:35 AM IST
  • पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाकर नियुक्ति कें नाम पर सैंकड़ो लोगों से की लाखों रुपये की ठगी, दो ठगों को 4 साल की कैद
  • सीजेएम कोर्ट ने अपराध की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए लगाया 38 हजार रुपये का जुर्माना
  • 2017 में दर्ज किया गया था केस, स्पीडी ट्रायल के तहत किया गया निपटारा
पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाकर लाखों रुपये की ठगी, दो को 4 साल की कैद

पटना. देश में आए दिन साइबर क्राइम के केस बढ़ते ही जा रहे हैं जहां फर्जी वेबसाइट बनाकर या टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लोगों के बैंक से पैसे ट्रांसफर कर लिए जाते है. ऐसा ही एक मामला पटना से आया है. इस बार तो ठगों ने पटना हाईकोर्ट की ही फर्जी वेबसाइट बना डाली. ठगों ने सैंकड़ो बेरोजगार युवाओं को आपका निशाना बनाया और जिला कोर्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी की. इस ठगी में दो आरोपी पाए गए जिन्हें पटना सीजेएम कोर्ट ने अपराध की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए चार-चार साल कठोर कैद की सजा सुनाई है और दोनों पर 38 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाने के जुर्म में पकड़े गए दो आरोपी में से एक पटना के राजीव नगर का रविनेश कुमार सिन्हा है और दूसरा आरोपी भोजपुर निवासी ओंकार नाथ सिंह है. दोनों ने मिलकर पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाई फिर जिला कोर्ट में नियुक्ति के लिए फर्जी विज्ञापन निकाला. नौकरी की तलाश में युवक युवतियों ने इस विज्ञापन पर भरोसा भी किया. इसके बाद साइबर अपराधियों ने नौकरी का रिजल्ट भी फर्जी वेबसाइट पर निकाला और अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश का फर्जी हस्ताक्षर युक्त नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया.

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इन साइबर अपराधियों ने हर एक अभ्यर्थी से 4 लाख से अधिक रुपये की वसूली की. मामले का भंडाफोड़ तब हुआ जब कई अभ्यर्थी फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पटना सिविल कोर्ट और दानापुर कोर्ट नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचे. पटना हाईकोर्ट के प्रोगामर अधिकारी ने देखा तो पता चला कि पटना हाईकोर्ट की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी की जा रही है. इसके बाद उन्होंने कोतवाली थाने में 2017 में साइबर अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. इस ठगी का स्पीडी ट्रायल के तहत निपटारा किया गया जिसके बाद प्रभारी जिला अभियोजन पदाधिकारी धीरेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने अभियोजन गवाहों और साक्ष्य को कोर्ट में पेश किया था.

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