बिहारियों के इम्यून सिस्टम के सामने कोरोना पस्त, बिना वेंटिलेटर ठीक हो रहे मरीज
- कोरोना संकट के बीच अच्छी खबर ये है कि बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर पर नहीं रखा जा रहा है। बिहार में अधिकांश मरीजों को इसकी जरूरत भी नहीं पड़ रही है। इसमें बिहार के लोगों की मजबूत इम्यून सिस्टम का भी बड़ा योगदान है।

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर जारी है। बिहार में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं और मगर अच्छी बात ये है कि बिहार के लोग अपनी प्रतिरोधक क्षमता की बदौलत कोरोना को आसानी से मात दे पा रहे हैं। कोरोना संकट के बीच अच्छी खबर ये है कि बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर पर नहीं रखा जा रहा है। बिहार में अधिकांश मरीजों को इसकी जरूरत भी नहीं पड़ रही है। इसमें बिहार के लोगों की मजबूत इम्यून सिस्टम का भी बड़ा योगदान है। राज्य के सात मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा है मगर सिर्फ पटना एम्स में ही अबतक 5 कोरोना संक्रमितों को वेंटिलेटर लगाया गया है। इनमें दो स्वस्थ हो गए और दो की मौत हो गई जबकि एक मरीज की हालत स्थिर है।
एनएमसीएच के कोरोना नोडल अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिन्हा के मुताबिक, यहां 278 संक्रमित भर्ती हुए, जिनमें 221 स्वस्थ हो चुके हैं। आठ संक्रमितों की मौत हुई लेकिन उनमें किसी को वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया था। डॉ. सिन्हा ने बताया कि अमेरिका के एक मेडिकल जर्नल में रिपोर्ट छपी थी, जिसमें वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों में मृत्युदर अधिक बतायी गई थी। इसलिए यहां वेंटिलेटर पर मरीजों को नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम होने पर ऑक्सीजन लगाकर इलाज किया जा रहा है।
वहीं, पटना एम्स के कोरोना नोडल अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि जिन दो मरीजों की यहां मौत हुई वे किडनी और ट्यूमर के मरीज थे। दो स्वस्थ हो गए जबकि एक की हालत स्थिर है। दूसरी ओर, उत्तर बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 988 हो चुकी है। गंभीर मरीजों के लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच, दरभंगा के डीएमसीएच और बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में विशेष व्यवस्था है। कोरोना के लिए बनाए गए विशेष आइसोलेशन वार्ड में वेंटिलेटर भी लगाए गए हैं, मगर अब तक किसी मरीज को वेंटिलेटर पर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी है। एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर के अधीक्षक डॉ एसके शाही के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में वेंटिलेटर के साथ ही अन्य सभी जरूरी उपकरण लगे हुए हैं। मगर अभी तक वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है। अधिकतर मरीज कोविड केयर सेन्टर में ही ठीक होकर घर जा रहे हैं।
इसके अलावा, डीएमएमसीएच, दरभंगा के अधीक्षक डॉ.आरआर प्रसाद व जीएमसीएच, बेतिया के अधीक्षक डॉ. डीके सिंह के मुताबिक, अधिकतर मरीज सामान्य इलाज से ही ठीक हो जा रहे हैं। बेहद खराब स्थिति में ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। फिलहाल यह नौबत अब तक नहीं आई है। वहीं, दूसरी ओर, कोसी, सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों में अबतक एक भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की नौबत नहीं आई है।
भागलपुर के जेएलएनएमसीएच में कोरोना के नोडल अधिकारी डॉक्टर हेम शंकर शर्मा ने बताया कि अस्पताल में 13 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं और 30 नए आने वाले हैं। लेकिन किसी संक्रमित को इसकी जरूरत नहीं पड़ी है। वहीं, अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल, गया में 7 वेंटिलेटर है लेकिन किसी संक्रमित मरीज को अभी तक वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है।
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