पटना के जू में है गैंडों की भरमार, पहुंचा दुनियाभर में दूसरे नंबर पर

Anurag Gupta1, Last updated: Sun, 26th Sep 2021, 11:26 AM IST
पटना प्राणी उद्यान गैंडों की संख्या के मामले में शीर्ष स्थान पर है. पटना चिड़ियाघर के गैंडों की मांग देशभर में हो रही है जिसके बदले वो मनचाहा जानवर देने को तैयार हैं.
(फाइल फोटो)

पटना. लुप्तप्राय जानवर गैंडे को पटना प्राणी उद्यान भा चुका है. पटना प्राणी उद्यान गैंडों की संख्या के मामले में शीर्ष पर है जबकि देशभर में दूसरे स्थान पर है. पटना जू में गैंडों की कुल संख्या 12 है जिसमें से सात नर और पांच मादा हैं. इसके पहले यहां पर गैंडों की संख्या अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सैनडिएगो चिड़ियाघर के बराबर 13 थी. पटना चिड़ियाघर के गैंडों की मांग देशभर में हो रही है जिसके बदले वो मनचाहा जानवर देने को तैयार हैं.

हाल ही में पटना जू से एक गैंडा गुजरात लाया गया था. बदले में राजगीर सफारी को छह शेर मिले थे. पटना चिड़ियाघर में गैंडों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन केंद्र बनाया गया है जिसमें गणेश और लाली को रखा गया है. ये देशभर का इकलौता प्रजनन केंद्र है. पटना जू में मई 1979 में एक जोड़ा गैंडा लाया गया था. जिसमें दो वर्ष का नर गैंडा कांछा और पांच वर्ष की मादा कांछी थी. जिन्होंने अगस्त 1988 में हड़ताली को जन्म दिया था. मार्च 1982 में बेतिया से राहत एवं बचाव कार्यक्रम के तहत नर राजू को लाया गया था.

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अदला-बदली कार्यक्रम:

इस कार्यक्रम के तहत दिल्ली चिड़ियाघर से 2005 में तथा अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सैनडियागो जू से 2007 में एक मादा गैंडा गौरी को लाया गया था. गौरी उस वक्त गर्भवती थी और साथ में अपने एक मादा बच्चे को लेकर आई थी जिसका नाम लाली था. बाद में गौरी ने 2007 में एक नर को जन्म दिया जिसका नाम शक्तिराज रखा गया. लंबे समय बाद 2017 में तीन गैंडो का जन्म हुआ. 

प्रजनन के लिए चार बल्ड लाइन:

पटना चिड़ियाघर में प्रजनन के लिए चार बल्ड लाइन उपलब्ध है. जो देश के किसी जू में नहीं है. सैनडियागो, असम, बेतिया और नई दिल्ली से लाए गैंडों के प्रजनन के लिए चार बल्ड लाइन उपलब्ध है. वंशवृध्दि के लिए सैनडियागो जू के बाद संजय गांधी जैविक उद्यान पटना दूसरा सबसे बड़ा स्थान है.

 

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