जयंती विशेष: जब गांधी मैदान में जेपी नारायण की दहाड़ से हिल गई थी इंदिरा सरकार

Smart News Team, Last updated: Sun, 11th Oct 2020, 12:26 AM IST
  • आज आजाद भारत के दूसरे गांधी जय प्रकाश नारायण की जयंती है जिन्होंने पटना के गांधी मैदान से दहाड़कर दिल्ली की सत्ता को भी हिला दिया था.
जयंती विशेष: जब गांधी मैदान में जेपी नारायण की दहाड़ ने हिल गईं थी इंद्रा

जय प्रकाश नारायण या कहें तो आजाद भारत के दूसरे गांधी जिनकी आवाज इतनी बुलंद थी कि पटना के गांधी मैदान से दिल्ली में बैठीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हिला दिया. आज भी जेपी नारायण की सुनी दिनकर की कविता की लाइन ''सिंहासन खाली करो की जनता आती है'' जब कोई याद करता है तो सिहरन पैदा कर देती है वो जोश उन लोगों में एक बार फिर भर देती है जो शायद आज के लोगों में नहीं है.

जेपी को यूंही दूसरा गांधी नहीं कहा गया. 11 अक्टूबर 1902 को सिताबदियारा की धरती पर जन्में जेपी जब साल 1929 में अमेरिका से पढ़कर भारत लौटे तो उस समय अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों को देखकर सन्न रह गए. इस दौरान जेपी भी क्रांति करने चल पड़े जहां उनकी मुलाकात नेहरु से लेकर महात्मा गांधी तक से हुई. और यहीं से जेपी की वो लड़ाई शुरू हो गई जिसका प्रभाव देश में आपातकाल लगाने वाली इंदिरा गांधी की सरकार भी नहीं झेल पाई.

हालांकि, साल 1975 में इंदिरा ने भी जेपी को जेल में डाल दिया. कभी वे जिस इंदिरा को प्यार से इंदु कहते थे, उसी इंदिरा ने उन्हें जेल भेज दिया क्योंकि वे उस समय इंदु नहीं प्रधानमंत्री थीं और इमरजेंसी की घोषणा कर चुकी थी. अब विरोध करने वालों को जेल जाना था जिनमें ना चाहते हुए भी जेपी का नाम शामिल हो गया. लेकिन जेपी का जेल जाना कभी जाया नहीं गया, चाहे वो अंग्रेजों का राज हो या भारत की लोकतांत्रिक सरकारें.

इंदिरा ने जेपी को शायद जेल भेजने में देरी कर दी. जेपी तो पटना के गांधी मैदान से वो क्रांति की चिंगारी लगा चुके थे जिसने हक मांगने वाले युवाओं को सड़क पर खड़ा कर दिया. लेकिन ये क्रांति गुलामी के खिलाफ नहीं भुखमरी और गरीबी के खिलाफ थी.

आजाद भारत के गांधी जय प्रकाश नारायण ने एक बार कहा था ''जब सत्ता बंदूक की नली से बाहर आती है और बंदूक आम लोगों के हाथों में नहीं रहती है, तब सत्ता सर्वदा अग्रिम पंक्ति वाले क्रांतिकारियों के बीच सबसे क्रूर मुट्ठीभर लोगों द्वारा हड़प ली जाती है.''

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