बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और झारखंड के रांची, बोकारो, धनबाद करवा चौथ सरगी टाइम

Somya Sri, Last updated: Fri, 22nd Oct 2021, 5:16 PM IST
  • करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखतीं हैं, लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना के लिए कथा करती हैं. इस त्योहार पर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा अहम होता है सरगी. आइए जानते हैं बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और झारखंड के रांची, बोकारो, धनबाद करवा चौथ सरगी का शुभ समय क्या है.
बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और झारखंड के रांची, बोकारो, धनबाद करवा चौथ सरगी टाइम (प्रतिकात्मक फोटो)

पटना: करवा चौथ 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. जिसमें अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. ऐसे में जरूरी है कि व्रत रखने वाली महिलाएं त्योहार से जुड़ी हर चीज के बारे में जान लें. किसी भी त्योहार में शुभ मुहूर्त बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि अगर शुभ मुहूर्त के दौरान कार्य किए जाते हैं. तो वह व्रत दोगुना फलदाई होता है. ऐसे में जरूरी है कि करवा चौथ से जुड़ी पूजा मुहूर्त, सरगी मुहूर्त, उपवास मुहूर्त , चंद्रोदय का समय आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

बिहार और झारखंड में करवा चौथ सरगी का सुबह समय

इस बार करवा चौथ पर पूजा का शुभ समय 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6:55 मिनट से लेकर 8:51 मिनट तक रहेगा. वहीं, करवा चौथ पर चंद्रोदय का वक्त रात 8 बजकर 11 मिनट का है. जबकि बिहार के कई शहरों में जैसे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और झारखंड के रांची, बोकारो,धनबाद में सरगी का शुभ समय व्रत रखने से पहले 5 बजे से 6 बजे के बीच बताया जा रहा है.

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क्या है सरगी?

करवा चौथ में सरगी का खास महत्‍व होता है. इसे सूरज उगने से पहले खाया जाता है. महिलाएं अपना व्रत सरगी खाकर ही शुरू करती हैं. घर परिवार में बड़ी बुजुर्ग महिलाएं या सास ही सरगी का खाना अपनी बहू को देती है. जिसे एक गिफ्ट के तौर पर देखा जाता है. सरगी खाने का लाभ यह होता है कि इसे खाने के बाद व्रत रखने वाली व्रती दिनभर एनर्जी में रहती है. जिससे उन्हें भूख नहीं लगती और बेचैनी नहीं होती है.

करवा चौथ की पूजा ऐसे करें

करवा चौथ पर सूरज निकलने से पहले सास द्वारा भेजी गई सरगी का सेवन कर लें. बाद में फिर स्नान करने के बाद संकल्प बोलकर करवा चौथ का व्रत शुरु करें. पूरे दिन निर्जल रहे. इस दौरान आठ पूरियां की अठावरी और हलुवा बनाएं. साथ ही पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेश जी बनाकर बैठाएं. मां गौरी का सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें. करवा में गेंहूं और ढक्कर नें शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें. रोली से करवा पर स्वस्तिक भी बनाएं. मां गौरी और भगवान गणेश की पूजा परंपरा के मुताबिक करें. पति की लंबी आयु के लिए फिर कामना करें. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या फिर चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कहानी या फिर कथा सुनें. कथा पूरी होने के बाद अपनी सांस के पैर छुकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें करवा दें. रात के वक्त चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और फिर चांद को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भी भोजना करें और खुद भी भोजन करें.

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