बिहार में प्रेम की पाठशाला, लवगुरु मटुकनाथ खोलेंगे ओशो के नाम पर इंटरनेशनल स्कूल
- बिहार में लव गुरु मटुकनाथ ओशो के नाम से प्रेम की पाठशाला खोलने जा रहे हैं. इस प्रेम विद्यालय में वह देश-विदेश से आए छात्र-छात्राएं प्यार की क्लास ले सकेंगे.

पटना. बिहार में लवगुरु के नाम से विख्यात प्रोफेसर मटुकनाथ प्रेम विद्यालय खोलने जा रहे हैं. प्रोफेसर मटुकनाथ ने भागलपुर जिले के अपने पैतृक गांव जयरामपुर में लव स्कूल खोलने का फैसला किया है. उन्होनें बताया कि इस स्कूल का नाम ओशो इंटरनेशनल स्कूल रखा जाएगा.
भागलपुर में पत्रकारों से बात करते हुए लवगुरु ने बताया कि इस साल अप्रैल से इस स्कूल को शुरू किया जा सकता है. वहीं उनसे सवाल किया कि वह ओशो के नाम से स्कूल की स्थापना क्यों कर रहे हैं. इसपर उन्होनें जवाब दिया कि ओशो दुनिया के एकमात्र और सबसे बड़े लवगुरु हैं और उन्होनें उन्हीं से प्रेम का पाठ सीखा है.
प्रोफेसर मटुकनाथ ने यह भी कहा कि वह उनकी तुलना में कुछ भी नहीं हैं लेकिन फिर भी लोग उन्हें लव गुरु के रुप में जानते हैं. मटुकनाथ ने साथ ही कहा कि वह उनके समान लवगुरु नहीं हो सकते हैं लेकिन वह उनके छात्र जरुर हैं. इसी कारण इस स्कूल का नाम ओशो इंटरनेशनल रखने का फैसला किया गया है.
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प्रोफेसर मटुकनाथ अपनी जूली को लाने के लिए 2020 में सात समुंदर पार चले गए थे. प्रोफेसर ने उस समय बताया था कि जूली के एक संदेश ने उन्हें त्रिनिदाद एंड टोबैगो के सेंटगस्टीन तक पहुंचा दिया था. लवगुरु का मानना है कि गृहस्थ होकर ही संन्यास तक रास्ता जाता है. वहीं जूली उसके विपरीत बिना गृहस्थ आश्रम जीए संन्यास की तरफ चल दी थी. जूली के खराब स्वास्थ्य के पीछे यह सबसे बड़ा कारण रहा था. जूली अब फिर से गृहस्थ जीवन जीना चाहती है और इसी कारण उन्होनें वापस लौटने के लिए प्रोफेसर के पास पटना संदेश भेजा था.
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प्रोफेसर मटुकनाथ ने बताया कि जूली ने उन्हें कभी नहीं छोड़ा था. वह तो उनकी निजी स्वतंत्रता के समर्थक रहे हैं. लवगुरु ने जूली के लिए बताया कि उनके अंदर 2014 से ही वैराग्य का भाव दिखने लगा था. वह भजनों पर नृत्य करती थीं और चिंतन-मनन में लगी रती थी. वहीं 2016 में वह आध्यात्मिक वातारण में रहने के लिए पटना से कभी वृंदावन कभी होशियारपुर और अन्य धार्मिक स्थानों पर जाती थीं.
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वैराग्य की तरफ झुकी जूली को प्रोफेसर ने 2016 में देखा था. उन्होनें जूली को सलाह दी कि वह चाहें तो बिना किसी सोच के वैराग्य अपना सकती हैं. जूली इसके बाद मटुकनाथ का घर छोड़कर वृंदावन समेत अन्य जगहों पर भ्रमण करने लगीं. प्रोफेसर ने बताया कि वह उनसे फोन पर संपर्क में थी लेकिन कुछ समय बाद जूली का फोन आना बंद हो गया. प्रोफेसर को कुछ समय बाद जानकारी मिली कि जूली अस्वस्थ्य हैं और त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंच गई हैं. वहां वह किसी जीवित व्यक्ति को बुद्ध मानने लगी है और उन्हीं का ध्यान लगाएं वह यहां इस हालत में पहुंची हैं.
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