अवैध खनन व पराली जलाने वालों की अब खैर नहीं, सेटेलाइट से होगी निगरानी
- बिहार में अवैध खनन व किसान धान की पराली को न जलाए इसके लिए राज्य स्तर पर सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है. तारामंडल की ऊपरी तल पर स्थित बिहार रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर को अपग्रेड कर यहां 11 हाई एंड वर्क स्टेशन बनाया जा रहा है.

पटना. बिहार में कृषि अवशेष (पराली) जलाना दंडनीय अपराध है. पकड़े जाने पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके बावजूद चोरी-छिपे किसान खेतों में पराली जलाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा. अवैध खनन व किसान धान की पराली को न जलाए इसके लिए राज्य स्तर पर सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है. पराली जलाने वाले किसानों से न केवल जिला प्रशासन जुर्माना वसूल करेगा, बल्कि उन पर मुकदमा भी दर्ज करेगा. प्रदूषण रोकने के लिए शासन स्तर से सख्ती बरती जा रही है. किसान पराली न जलाए इसके लिए उन्हें कृषि विभाग जागरूक भी कर रहा है.
तारामंडल की ऊपरी तल पर स्थित बिहार रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर को अपग्रेड कर यहां 11 हाई एंड वर्क स्टेशन बनाया जा रहा है. जहां अद्यतन उपकरणों के माध्यम से सेटेलाइट का सहारा लेकर हर समय जरूरी जिओ इंफॉर्मेशन जुटाई जा सकेगी. यहां कुशल वैज्ञानिकों की टीम शोध पर केंद्र सरकार के कई विभागों और अन्य संस्थानों को उनकी जरूरत के अनुसार आंकड़े उपलब्ध कराएगी.
इस केंद्र द्वारा संबंधित विभाग यह जान सकेगा कि किन इलाकों में अवैध खनन किया जा रहा है. ताप और उष्णता के आकलन के जरिए पराली जलाने वाले इलाकों पर भी नजर रखी जाएगी. राज्य में हरित क्षेत्रों की स्थिति नदियों कूपों और जलाशयों की स्थिति और परिवहन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े जिओ इनफॉरमेटिक आंकड़े आसानी से जुटाए जा सकेंगे. इसे एक डेटाबेस कम ट्रेनिंग सेंटर के रूप में भी विकसित किया जा रहा है. सरकार के कई विभागों को अभी से ही अद्यतन आंकड़ों से अपडेट किया जा रहा है. सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग की पहल पर इसे तीन महीने में तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
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11 हाई एंड वर्क स्टेशन बनेंगे
इस केंद्र में 11 हाई एंड वर्क स्टेशन बनेंगे. जहां वैज्ञानिकों की टीम उपग्रह प्रौद्योगिकी से जुड़े अनुसंधान करेगी. इन जिओ इंफॉर्मेशन का उपयोग छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए भी किया जाएगा. इसके लिए तारामंडल के ऊपरी तले पर ही खाली पड़ी रहे को ट्रेनिंग सेंटर के रूप में तब्दील करने की तैयारी है. इस जगह का उपयोग 35 वर्क स्टेशन बनाने के लिए किया जाएगा. जहां एंट्रेंस टेस्ट के जरिए रिमोट सेंसर ट्रेनिंग सेंटर में दाखिला लिया जा सकेगा. बताया गया कि 1 बैच में 35 छात्रों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
सरकार के कई विभागों को जिओ इंफॉरमेटिक्स आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुबह में पहली बार इस स्तर पर जिओ इनफॉर्मेटिक्स आंकड़ों पर शोध और अनुसंधान की दिशा में किसी केंद्र को विकसित किया जा रहा है. इसे आद्यतन बनाने के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की खरीद की जानी है. जिसके लिए विभाग की ओर से क्रय आदेश जारी कर दिया गया है. यह केंद्र कृषि विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग, जल संसाधन विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, पर्यावरण एवं वन विभाग को डाटा भी उपलब्ध कराएगा.
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