भ्रष्टाचार से निपटने के लिए नीतीश सरकार का फैसला,संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी FIR

Smart News Team, Last updated: Thu, 1st Jul 2021, 2:39 PM IST
बिहार में अब सरकारी अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर ना केवल उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी बल्कि ऊपर एफआईआर भी होगी. नीतीश सरकार के फैसले को लेकर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और डीजीपी को पत्र लिखा है.
बिहार में अब सभी सरकारी अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा.

पटना. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के लिए नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार के फैसले के अनुसार अब सभी सरकारी अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर ऐसे सरकारी सेवकों पर न केवल अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी, बल्कि उन पर एफआईआर भी होगी. सरकार के इस फैसले को लेकर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और डीजीपी को पत्र लिखा है.

इस पत्र के मुताबिक सरकारी सेवकों द्वारा चल-अचल संपत्ति का ब्योरा और खरीद-बिक्री की जानकारी दिए जाने का प्रावधान सरकार द्वारा पहले से तय किया गया है. पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि 25 मार्च 2021 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मार्गदर्शन भी जारी किया गया है, इसके बावजूद यह देखा जा रहा है कि सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कई स्तरों पर नहीं किया जा रहा है. मुख्य सचिव ने पत्र में यह भी कहा है कि हर साल सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को दिसंबर के बाद फरवरी तक अपनी संपत्तियों से संबंधित जानकारी सरकार को देनी है. अगर किसी को विरासत में भी संपत्ति मिली है तो इसकी भी सारी जानकारी सरकार को हर हाल में देनी है.

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इसके लिए सरकार द्वारा तय किए गए मापदंड के अनुसार संपत्ति का ब्यौरा देना है. फरवरी का वेतन संपत्ति का ब्यौरा देने के बाद ही भुगतान का प्रावधान भी है, साथ ही अगर कोई अचल संपत्ति के रूप में जमीन-मकान या फ्लैट-गाड़ी खरीद रहा है तो उसे 1 माह के अंदर सरकार को इसकी जानकारी देनी जरूरी होगी. चाहे वह अपने नाम या परिवार के किसी सदस्य के नाम से संपत्ति खरीद रहा हो तब भी उसे इसकी जानकारी देनी होगी. इसके अलावा यदि सरकारी सेवक अपने 2 माह के वेतन से अधिक की राशि के समान लेन-देन करता है तो इसकी जानकारी भी उसे 1 महीने के अंदर सरकार को देना अनिवार्य होगा.

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आपको बता दें कि बिहार सरकारी सेवक आधार नियमावली 1976 में इसका स्पष्ट उल्लेख भी किया गया है. हालाकिं इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन भी किए गए हैं. इसके अनुसार सरकारी सेवकों द्वारा संपत्ति को छिपाना गंभीर अपराध माना गया है. इसमें विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत आपराधिक केस भी संबंधित सरकारी अधिकारी पर करने का प्रावधान है. गौरतलब है कि हर एक सरकारी कर्मी अधिकारी को नियुक्ति के साथ ही इस तरह की जानकारी सरकार को देनी होगी.

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