राजधानी पटना की आबोहवा खराब, 284 पर पहुंचा एक्यूआई, छपरा सबसे अधिक प्रदूषित
- पटना में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. आज शुक्रवार को पटना में हवा की गुणवत्ता का स्तर 284 पर पहुंच चुका है. जबकि बुधवार को पटना का वायु गुणवत्ता सूचकांक 264 था. दो दिनों के अंदर ही इसमें भारी इजाफा हुआ है. पटना के हवा में अतिसूक्ष्म कणों, वाहनों के धुएं और धूल की वजह से स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. वहीं बिहार राज्य में छपरा में सबसे अधिक प्रदूषण है. छपरा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 356 हो गया है.
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पटना: पिछले कई दिनों से पटना में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. आज यानी शुक्रवार को पटना में हवा की गुणवत्ता का स्तर 284 पर पहुंच चुका है. जिससे अब यहां की हवा सांस लेने लायक नहीं रही. एक्यूआई 284 होने का मतलब है कि जल्द ही पटना का एक्यूआई 300 के पार हो जाएगा. क्योंकि बुधवार को पटना का वायु गुणवत्ता सूचकांक 264 था. दो दिनों के अंदर ही इसमें भारी इजाफा हुआ है. पटना के हवा में अतिसूक्ष्म कणों, वाहनों के धुएं और धूल की वजह से स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. प्रदूषण के मामले में 300 के पार एक्यूआई सबसे खराब श्रेणी मानी जाती है. जिससे पटना अब ज्यादा दूर नहीं है.
पटना के कई इलाकों में वायु प्रदूषण
वहीं पटना शहरी क्षेत्र में दानापुर का सूचकांक 320, एयरपोर्ट और संजय गांधी जैविक उद्यान 330, गांधी मैदान 310, राजधानी वाटिका 335 और तारामंडल, डाकबंगला क्षेत्र 340 और पटना सिटी में 155 सूचकांक है.
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छपरा सबसे अधिक प्रदूषित
मिली जानकारी के मुताबिक छपरा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 356 हो गया है. मुजफ्फरपुर का 338, सीवान का 303, मोतिहारी 300, पूर्णिया का 267, भागलपुर का 288, राजगीर का 248, सासाराम का 228, गया का 173 है. बिहार राज्य में छपरा में सबसे अधिक प्रदूषण है. यहां की हवा सबसे ज्यादा खतरनाक हो गयी है.
हवा कैसे हो साफ?
मौसम विभाग का मानना है कि प्रदूषण से मुक्ति तभी मिलेगी अगर बारिश होगी. इसके अलावा वाहनों के संचालन और कंट्रोल पर भी एक्यूआई निर्भर करेगा. तेज हवा के साथ बारिश होने के बाद हवा की गुणवत्ता का सूचकांक बेहतर होने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजधानी को साफ रखने के लिए कोई खास उपाय नहीं हो रहा है. बताया जा रहा है कि सिर्फ पटना के बेली रोड पर ही मशीन से सड़क किनारे धूल कण की सफाई हो रही है. जबकि बाकी शहरों में हालत खराब है. खटारा वाहनों पर लगाम नहीं है. वाहनों के संचालन पर भी कोई कंट्रोल नहीं है. इसके अलावा खुले में निर्माण कार्य भी धड़ल्ले से चल रहा है.
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