पटना: 3 दिन हॉस्पिटल का लगाया चक्कर पर कहीं नहीं मिला इलाज,फिर जिंदगी से हार गया
- पटना में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग किस कदर लड़ी जा रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि एक कोरोना संदिग्ध की मौत जांच के लिए चक्कर लगाते-लगाते हो जाती है।

कोरोना कहर के बीच सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन ऐसी कई घटनाएं आ रही हैं, जिसने लगता है कि कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई काफी कमजोर है। पटना में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग किस कदर लड़ी जा रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि एक कोरोना संदिग्ध की मौत इलाज के लिए चक्कर लगाते-लगाते ही हो जाती है। दरअसल, दीघा पाटी पुल के निवासी नंदकिशोर मेहता कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने के कारण जांच के लिए अस्पतालों का चक्कर लगा रहे थे, मगर कहीं भी जांच नहीं हो पाई।
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इस बीच गुरुवार की सुबह नंदकिशोर मेहता की तबीयत बिगड़ने लगी। हल्का बुखार और सांस लेने में तकलीफ होन पर वे पटना के कई निजी और सरकारी अस्पतालों में गए। कहीं उनका इलाज नहीं किया गया। इलाज के लिए भटकते-भटकत ही वह रह गए और शुक्रवार की सुबह उनकी मृत्यु हो गई।
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उनके पड़ोस में रहने वाले पूर्व पार्षद संजय सिंह ने बताया कि तीन दिनों से नवल अपनी जांच कराने के लिए दौड़ लगा रहे थे। दीघा के ही सुनील कुमार होम आइसोलेशन में पिछले पांच दिनों से रह रहे थे। उनकी भी हालत शुक्रवार के दोपहर तक खराब हो रही थी। परिजन उन्हें भर्ती कराने के लए सिविल सर्जन में बने कंट्रोल रूम से लेकर अस्पतालों के नंबर और 108 नंबर पर एंबुलेंस की मांग कर रहे थे। लेकिन शाम तक उन्हें एंबुलेंस नहीं उपलब्ध हो पा रही थी।
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