पटना HC ने चारा घोटाला में सजा पाए अधिकारी के पेंशन, ग्रेच्युटी जब्त के आदेश को किया निरस्त

Smart News Team, Last updated: Wed, 7th Jul 2021, 12:44 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाला में सजा पाएं पशुपालन विभाग के एक अधिकारी के रिटायर होने के बाद विभाग की तरफ से जारी किए गए मेमो जिसके तहत अधिकारी के आजीवन ग्रेच्युटी और पेंशन जब्त के आदेश को निरस्त कर दिया है.
पटना हाई कोर्ट. (प्रतीकात्मक फ़ोटो)

पटना : पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाला में सजा पाए अधिकारी के ऊपर विभाग की तरफ से साल 2 मार्च 2017 को पेंशन और ग्रेच्युटी बंद करने के मेमो के आदेश को निरस्त कर दिया है. पटना हाई कोर्ट ने यह आदेश पशुपालन विभाग से रिटायर हो चुके अधिकारी डॉक्टर दिल नारायण चौधरी की दायर की गई अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है. इस अर्जी की सुनवाई जस्टिस डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय के एकल पीठ के सामने हो रही थी.

साल 1996 में चारा घोटाला हुआ था. जिसमें अर्जी दायर करने वाले अधिकारी दिल नारायण चौधरी को साल 2011 में निचली अदालत ने 3 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. निचली अदालत की तरफ से सजा मिलने के बावजूद विभाग की तरफ से अधिकारी पर न तो कोई कार्रवाई की गई और ना ही शो कॉज नोटिस जारी किया गया. इसी दौरान अधिकारी 31 जुलाई साल 2013 में रिटायर हो गए. अधिकारी के रिटायर होने के बाद विभाग की तरफ से साल 2016 में पहली बार शो कॉज नोटिस दिया गया.इस शो कॉज नोटिस में विभाग ने बिहार पेंशन नियमावली का हवाला देते हुए. रिटायर हो चुके अधिकारी दिल नारायण चौधरी का पेंशन और ग्रेच्युटी को जब्त करने का मेमो दे दिया.

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इसी के खिलाफ अधिकार दिल नारायण चौधरी ने अर्जी दिया. रिटायर अधिकारी के वकील मनोज प्रियदर्शी ने कोर्ट को बताया कि विभाग को बिहार पेंशन नियमावली के के अनुसार हमेशा के लिए पेंशन और ग्रेच्युटी जब करने का अधिकार नहीं है. इसके पीछे वकील ने तर्क दिया कि पेंशन नियमावली के नियम 43 ए रिटायर्ड अधिकारी आवेदक पर लागू नहीं हो सकता क्योंकि यह रोल केवल रिटायर्ड हो चुके कर्मचारियों के आचरण पर लगता है. इस पर आगे वकील ने कहा कि रिटायर्ड अधिकारी जब तक नौकरी पर थे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. रिटायर होने के 3 साल बाद शो कॉज नोटिस नियम के अनुसार सही नही है.

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