नीतीश सरकार पर सख्त पटना HC, कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को लेकर की टिप्पणी

Smart News Team, Last updated: Sat, 19th Jun 2021, 10:21 PM IST
  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को कोरोना से हुई मौत के सही आंकड़ें सार्वजनिक नहीं करने पर फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार लोगों के जन्म-मृत्यु से जुड़े आंकड़ों को डिजिटल पोर्टल पर अपडेट करने से आनाकानी कर रही है.
पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार पर सख्त टिप्पणी की है

पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कोरोना से हुई मौतों के सही आंकड़ें सार्वजनिक नहीं करने को लेकर नीतीश कुमार सरकार को फटकार लगाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने नीतीश सरकार की गु़ड गवर्नेंस पर भी सवाल उठाया है. कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि बिहार में कोरोना से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर सरकार का अड़ियल रुख सही नहीं है.

बता दें कि कोविड प्रबंधन को लेकर शिवानी कौशिक समेत अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने कहा कि कारण चाहे जो भी हो, राज्य सरकार कोरोना से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर अड़ियल रुख अपनाए हुए हैं. हमारे नजरिए से सरकर का यह रुख ना तो कानूनन सही है और ना ही यह गुड गवर्नेंस की कसौटी पर खरा उतरता है.

कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता गुड गवर्नेंस की पहचान है. खासकर आज के समय में जब केंद्र और राज्य दोनों डिजिटल इंडिया और नेशनल डेटा शेयरिंग एंड एसेसिबिलिटी पॉलिसी 2012 को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सरकार को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह बताना चाहिए कि राज्य में कोरोना से कितनी मौतें हुई. राज्य की जनता को इसके बारे में जानने का कानूनी अधिकार है.

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इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों के सही आंकड़ें सार्वजनिक नहीं करने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि बार-बार कहने के बावजूद भी सरकार लोगों के जन्म-मृत्यु से जुड़े आंकड़े डिजिटल पोर्टल पर अपडेट कर उसे जनता के सामने खोलने में आनाकानी कर रही है. पोर्टल आम जनता के लिए नहीं खोले जा सकते अदालत ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया है.

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अदालत ने नीतीश सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि वह राज्य के लोगों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करने के उनके अधिकार के बारे में जागरुक करे. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 28 पन्नों के अपने आदेश में यह तय किया है कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को जानना लोगों का मौलिक अधिकार है और सटीक आंकड़ें देना सरकार का संवैधानिक दायित्व है.

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