पटना के IGIMS में 5 दिन के बच्चे को ब्रेन स्ट्रोक, डॉक्टर्स भी रह गए हैरान
- हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी बीमारियां अब सामान्य सी बात लगने लगी है. लेकिन ऐसी बीमारी अगर 5 दिन के बच्चे को हो तो यह बिल्कुल भी सामान्य नहीं है. पटना के IGIMS में एक 5 दिन के बच्चे के ब्रेन हेमरेज का चौंकाने वाला खबर सामने आया है. जन्म के 12 घंटे बाद हुए स्ट्रोक से डॉक्टर भी परेशान हैं. डॉक्टरों ने बताया कि अब तक ऐसा मामला सामने नहीं आया था कि जन्मजात बच्चे का ब्रेन हेमरेज हो जाए. फिलहाल नवजात की हालत में काफी सुधार आया है.

पटना. पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में एक 5 दिन के बच्चे के ब्रेन हेमरेज का चौंकाने वाला खबर सामने आया है. जन्म के 12 घंटे बाद हुए स्ट्रोक से डॉक्टर भी परेशान हैं. डॉक्टरों ने बताया कि अब तक ऐसा मामला सामने नहीं आया था कि जन्मजात बच्चे का ब्रेन हेमरेज हो जाए. फिलहाल नवजात की हालत में काफी सुधार आया है. वहीं डॉक्टर इसे शोध का विषय बता रहे हैं.
आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि जमुई निवासी पूर्णिमा कुमारी 6 जनवरी की रात अपने 5 दिन के मासूम बच्चा को लेकर अस्पताल आई और बताया कि बच्चे को झटका आ रहा रहा था. यहां के डॉक्टर ने हेमरेज की आशंका पर उसे भर्ती किया. खून की जांच के बाद साथ ही ब्रेन का CT स्कैन भी कराया गया. रिपोर्ट में सामने आया कि ब्रेन में खून जमा था. वही खून जांच में सामने आया कि बच्चे का प्लेटलेट्स भी बहुत कम है. इसके बाद मामले को देखते हुए बच्चे को जल्द NICU में भर्ती किया गया. साथ ही चमकी को रोकने के लिए दवा भी दी गई. चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि बच्चे को खून और प्लेटलेट्स के साथ प्लाजमा भी दी जा रहा है. यह रिसर्च का विषय है कि 5 दिन के बच्चे में कैसे ब्रेन हेमरेज हो गया.
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बच्चे की मां ने कहा कि जन्म के 12 घंटे के बाद ही बच्चा जोर-जोर से लगातार रोने लगा. इससे चिंतित हो गए और जमुई के एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया. इसके कुछ देर बाद बच्चा को चमकी आने लगा. डॉक्टर इस मामले को गंभीर लेते हुए बच्चे को पटना रेफर कर दिया. रात में ही बच्चे को लेकर उसके परिजन पटना एम्स पहुंचे. जहां भर्ती नहीं होने से बच्चे के परिजन बच्चे को देर रात IGIMS के PICU में लेकर पहुंचे. जहां पर बच्चे को डॉक्टरों ने जांच की.
बच्चे का इलाज डॉ. जयंत प्रकाश, डॉ राकेश कुमार, डॉ. अंशुमन कर रहे हैं. डॉ. मंडल ने कहा कि कि ऐसा अजूबा केस बहुत कम ही देखने को मिलता है. ऐसे में बच्चे की इलाज के लिए 4 विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिससे बच्चे का इलाज अच्छे से हो और उसकी जान बचाई जा सके. संस्थान के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने कहा कि बच्चे को बचाने के लिए और इलाज के लिए संस्थान के डॉक्टर हर संभव प्रयास में जुटें है.
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