पटना: लॉकडाउन खा गया कारोबार, बिजनेस चलाने को पूंजी नहीं है व्यापारियों के पास

Smart News Team, Last updated: Tue, 16th Jun 2020, 4:29 PM IST
  • कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लोगों का काम-कारोबार ठप हो गया। अब अनलॉक 1 में बाजार तो खुल गए लेकिन सीजनल कारोबारियों के पास व्यापार बढ़ाने की पूंजी नहीं बची।
लॉकडाउन में ढील के बाद बाजार तो खुल गए लेकिन कारोबारियों पर आर्थिक संकट जारी हैै।

पटना. कोरोना लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर छोटे से बड़े कारोबारियों पर पड़ा। अब हालात ऐसी है कि कारोबारियों के पास व्यापार को आगे बढ़ाने तक की पूंजी नहीं है। संकट को दूर करने के लिए व्यापारियों को सरकारी मदद की आस है। हालांकि, सरकार की ओर से विभिन्न तरीकों से मदद की जा रही है लेकिन कहीं न कहीं सभी जरूरतमंदों को मदद नहीं मिल पा रही।

बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ के महासचिव रमेश चंद्र तलरेजा इस संबंध में कहते हैं कि छोटे दुकानदारों के पास पूंजी का अभाव है। लॉकडाउन की वजह से दुकानदारी में लेन-देन के लिए भी नगदी नहीं बची है। परेशानी दूर करने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है। महासचिव ने आगे कहा कि अब सरकार को सस्ते दर पर कर्ज देने का इंतजाम करना चाहिए।

रमेश चंद्र तलरेजा ने कहा कि अपना कारोबार चलाने के लिए दुकानदारों को कर्ज नहीं मिल पा रहा है। बैंकों में अगर वे जाते हैं तो इतने कागजात मांग लिए जाते हैं कि छोटे दुकानदार तो घबराकर ही लौट आते हैं। सरकार की ओर से कर्ज देने का प्रचार तो जोर-शोर से किया जा रहा है। लेकिन प्रचार और असल में कर्ज देने में काफी अंतर है।

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वहीं न्यू मार्केट दूकानदार कल्याण समिति के वरिष्ठ सदस्य राजेश अग्रवाल कहते हैं कि कारोबारियों की हालात बेहद खराब है। अप्रैल- मई में स्कूलों में एडमिशन और लग्न रहता है जिसके अनुसार ही कारोबारी कपड़ा, रेडीमेड स्कूल ड्रेस, घड़ी, शादी के कपड़े और अन्य सामानों को दुकान में मंगाते हैं। इस साल भी दुकानदारों ने सामान तो मंगवा लिया लेकिन पीक समय में बाजार बंद हो गया।

अब बाजार खुलने के बाद लग्न और स्कूल ड्रेस का समेत कई तरह का सामान तो भरा लेकिन दुकानदारी पहले जैसी नहीं है। अब अगले साल ही इस सामान की खपत हो सकेगी। कपड़ा विक्रेताओं खासकर स्कूल ड्रेस विक्रेताओं की हालात काफी खराब है।

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