पटना: खून की कमी झेल रहे बच्चों में नालंदा व कुपोषण में शिवहर की स्थिति बदतर

Smart News Team, Last updated: Sat, 26th Dec 2020, 1:06 PM IST
  • बढ़ते कुपोषण से 43 फ़ीसदी बच्चों की लंबाई उम्र के अनुपात में नहीं बढ़ रही है पिछले 4 वर्षों में नालंदा में एनीमिक बच्चों की संख्या 22 फीसद तक की वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस अधिकारियों के साथ की बैठक.

 

पटना: बिहार में 'देश के भविष्य' खतरे में हैं. 5 साल तक के 40 फ़ीसदी बच्चे गंभीर कुपोषण के दौर से गुजर रहे हैं. इससे न केवल उनके लंबाई और उनका वजन प्रभावित हो रहा है. बल्कि मानसिक विकास तक पर भी बुरा असर पड़ रहा है. लगभग 43 फ़ीसदी बच्चों की उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ रही है. नाटे हो रहे हैं बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं में भी खून की कमी जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण देने में राजधानी पटना नालंदा जिले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है. रिपोर्ट आने के बाद पोषण के साथ ही सामाजिक विशेषज्ञों ने इसका विश्लेषण शुरू कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आंगनबाड़ी में चलने वाले योजनाओं के भरोसे बच्चों को कुपोषण से बाहर नहीं निकाला जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार पटना और नालंदा जैसे विकसित जिलों की स्थिति बदतर है. सूबे के 23 फ़ीसदी बच्चों का वजन उनकी उम्र और लंबाई के अनुसार नहीं बढ़ रहा है. वे सामान्य से अधिक पतले हैं. विशेषज्ञों के अनुसार पतलेपन का कुपोषण सबसे अधिक खतरनाक और जानलेवा माना जाता है. चिंताजनक इसलिए है कि पिछले 4 वर्षों में सूबे के 38 में से 26 जिले में स्थित कुपोषण घटने के बजाय बड़े हैं.

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बनानी होगी विशेष योजना

स्वास्थ्य एवं कुपोषण मामले के एक्सपोर्ट अरविंद मिश्रा ने बताया कि सरकार को कुपोषण से लड़ने के लिए विशेष योजना तैयार करनी होगी गर्भवती महिलाओं पर विशेष फोकस करना होगा ताकि स्वस्थ बच्चे पैदा हो सके.

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अधिकतर जिलों की स्थिति कमोबेश बराबर

सूबे के अधिकांश जिले की स्थिति कमोबेश बराबर है. मगर कुपोषण की दर में उत्तर बिहार का शिवहर सूबे में अव्वल है. जिले में पिछले 4 वर्षों में शिवहर में कुपोषित बच्चों की संख्या 20 से अधिक का इजाफा हुआ है. वहीं 17 फ़ीसदी के साथ दूसरे स्थान पर जहानाबाद और करीब 12 फीसद वृद्धि के साथ रोहतास तीसरे स्थान पर है. खून की कमी में सबसे खराब स्थिति नालंदा की है. वहीं नलांदा में एनिमिक मरीजों में 21 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. दुसरे स्थान पर जमुई है. यहां 20.6 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. गया नवादा और औरंगाबाद भी सबसे ख़राब जिलों में शामिल है.

 

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