4 साल में ग्रामीण सब्जी मंडी नहीं बनवा पाए सुशासन बाबू, किसानों पर संकट
- नीतीश कुमार सरकार चार साल में भी सब्जियों के लिए ग्रामीण मंडी नहीं बनवा सकी. ये मंडियां पटना, नालंदा, बेगूसराय, समस्तीपुर और वैशाली में बननी थी. 10 हजार वर्गमीटर में इन ग्रामीण मंडी का निर्माण होना था. सब्जियों की मार्केटिंग के लिए प्रखंडस्तरीय समितियां भी बनी थी.
पटना में किसान बेहद संकट में हैं. इस समय किसान दो रुपये किलो सब्जियां बेचने पर मजबूर हैं. दरअसल, कोरोना संक्रमण और बाहर सब्जियों के निर्यात नहीं होने के कारण उन्हें बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बिहार में नीतीश सरकार को लोगों को सस्ती, ताजी व गुणवत्तापूर्ण घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रखंड स्तरीय ग्रामीण मंडी का निर्माण करना था. ये पिछले चार साल में होना था. ऐसा ना हो पाने के कारण आज संकट के समय में किसान हताश हो रहा है.
घोषणा के चार साल बाद भी प्रखंडस्तरीय ग्रामीण मंडी का निर्माण नहीं हो सका है. किसानों के उत्पाद को सही मूल्य मिले, इसके लिए सरकार ने पांच जिलों में सब्जियों की मार्केटिंग के लिए प्रखंडस्तरीय समिति गठित की थी. लेकिन इसका भी किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. कुछ प्रखंडों में मंडी का काम शुरू हुआ लेकिन फंड की कमी के कारण रुक भी गया.
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चंडी प्रखंड प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष हरिनन्द प्रसाद ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि बिहार राज्य सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन योजना को संचिकाओं में उलझा रहा है. हरिनन्दन का कहना है कि जमीन लीज पर लेकर दस हजार वर्ग फीट में ग्रामीण मंडी का काम शुरू कर दिया गया था, पर जिला सहकारिता कार्यालय से राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी. इससे ग्रामीणों में मायूसी है. उनके उत्पाद को सही मूल्य नहीं मिल रहा है. सब्जियां औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं.
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हरित सब्जी प्रसंस्करण सहकारी संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार ने बातया कि प्रखंडस्तरीय समितियों के गठन के साथ शहरी क्षेत्रों में 150 आउटलेट खोला जाना था. इसकी भी शुरुआत नहीं हो सकी है. यही नहीं 50 एकड़ जमीन पर प्रोसेसिंग व संग्रहण केन्द्र बनना था. जमीन नहीं मिलने से प्रोसेसिंग यूनिट धरातल पर नहीं उतर सकी है. एक ग्रामीण मंडी से कम से कम एक हजार स्थानीय मजदूर और युवाओं को रोजगार मिल सकता है.
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