41 सालों से लंबित स्टाम्प घोटाले मामले में अदालत ने कहा एक हफ्ते के अंदर स्तिथि स्पष्ट हो

Somya Sri, Last updated: Wed, 15th Sep 2021, 9:51 AM IST
  • निगरानी कोर्ट ने से कोतवाली थाने को नोटिस भेजकर 1 हफ्ते के अंदर 41 वर्षों से लंबित स्टांप घोटाले की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. निगरानी कोर्ट ने पटना जिला कोषागार से फर्जी चालान पर 9 लाख के घोटाले पर साल 1981 में पटना पुलिस द्वारा दर्ज मामले पर संज्ञान लिया.
41 सालों से लंबित स्टाम्प घोटाले मामले में अदालत ने कहा एक हफ्ते के अंदर स्तिथि स्पष्ट हो (प्रतिकात्मक फोटो)

पटना: आज से 41 साल पहले पटना कोषागार में फर्जी चालान पर 9 लाख रुपये घोटाले का मामला दर्ज किया गया था. लेकिन 41 साल बीत जाने के बाद भी पटना पुलिस इस घोटाले की जांच में कामयाब नहीं हो पाई है. निगरानी कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर से कोतवाली थाने को नोटिस भेजकर 1 हफ्ते के अंदर 41 वर्षों से लंबित स्टांप घोटाले की स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. निगरानी कोर्ट ने पटना जिला कोषागार से फर्जी चालान पर 9 लाख के घोटाले पर साल 1981 में पटना पुलिस द्वारा दर्ज मामले पर संज्ञान लिया.

बता दें कि यह घोटाला पिछले 41 वर्षों से निगरानी कोर्ट में लंबित चल रहा है. इसके पीछे की वजह है कि पटना पुलिस ने इस मामले में आरोपियों पर चार्जशीट ही नहीं किया और फाइनल फॉर्म ही निगरानी कोर्ट में दाखिल कर दिया. वहीं इधर सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश और कोर्ट को पुराने व लंबित केस को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद निगरानी कोर्ट ने पटना के कोतवाली थाने को नोटिस भेजकर 41 साल से लंबित स्टांप घोटाले को 1 हफ्ते के अंदर में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. इस मामले में निगरानी कोर्ट ने पटना एसएसपी और डीजीपी और कोतवाली थानेदार को पत्र भेजा है.

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गौरतलब है कि 41 साल पहले जिला लेखा कार्यालय के अधिकारी बी आर सहाय ने कोतवाली थाने में जालसाजी धोखाधड़ी और सरकारी रुपए गबन का एक मामला 7 नवंबर 1981 को दर्ज किया था. जिसमें कहा गया था कि स्टांप वेंडर मुरारी प्रसाद, पटना कोषागार के तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी रामकृष्ण प्रसाद और स्टांप क्लर्क दोषी हैं. इन तीनों के खिलाफ फर्जी चालान पर 9 लाख के स्टांप घोटाले का मामला दर्ज कराया गया था. हालांकि इस मामले में कोतवाली थानेदार ने निगरानी कोर्ट को कहा है कि भ्रष्टाचार के इस कांड का कोई भी अभिलेख कोतवाली थाने में नहीं है.

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