पटना हुआ पानी-पानी, 24 घंटे से मोहल्ले अंधेरे में, दूध को तरस गए लोग

Newswrap, Last updated: Tue, 1st Oct 2019, 4:04 PM IST
बारिश की किचकिच रसोई घर तक पहुंच गई है। अब घर में रखा राशन भी खत्म होने लगा है। बच्चे दूध और बड़े नवरात्र के पहले दिन फलाहार को लेकर तरस गए। कई मोहल्ले तो पिछले 24 घंटे से अंधेरे में हैं। दो दिनों की...
किदवईपुरीका एक घर। राजधानी के 80 फीसदी घरों की तस्वीर ऐसी ही बन गई है।

बारिश की किचकिच रसोई घर तक पहुंच गई है। अब घर में रखा राशन भी खत्म होने लगा है। बच्चे दूध और बड़े नवरात्र के पहले दिन फलाहार को लेकर तरस गए। कई मोहल्ले तो पिछले 24 घंटे से अंधेरे में हैं। दो दिनों की बारिश और जलजमाव के कारण रसोई घर में सब्जियों से लेकर अन्य सामान खाली हो गए हैं। कई परिवार तो ऐसे भी हैं, जो रसोई गैस को लेकर परेशान हैं। उन्हें गैस नहीं मिल पा रही है। सामानों को भी ब्लैक में बेचा जा रहा है। दूध से लेकर सब्जी तक के भाव आसमान छूने लगे हैं। इसका असर सीधे तौर पर घर के बजट पर पड़ रहा है।

बच्चों के लिए बारिश आफत बनकर आई है। लोग बच्चों को पर्याप्त दूध भी नहीं दे पा रहे हैं। घरों में कैद बच्चों को संभालना काफी मुश्किल हो गया है। बाहर खेलने-कूदने से लेकर उनकी हर गतिविधियों पर पहरा लग गया है। तीन दिनों से राजधानी के 90 फीसदी मोहल्लों में जलजमाव है। इस समस्या से निजात का भी कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। इस वजह से परेशानी लोगों की और बढ़ रही है।

दो दिनों से घर में कैद हैं
ऐसी बारिश और बाढ़ तो गांव में भी नहीं देखा। दो दिनों से घर में पूरा परिवार कैद है। खाने -पीने का सामान ही नहीं, पूरी गृहस्थी बारिश के कारण चौपट हो गई है। नवरात्र का पहला दिन उपासना का था, लेकिन ऐसे हालात हो गए कि ठीक से पूजा-अर्चना भी नहीं हो पाई। पूरा क्षेत्र जलजमाव झेल रहा है। देवी मां से प्रार्थना है कि जल्दी हालात सामान्य हो जाए।
- सुमन सिंह, केसरीनगर  

पूरा घर पानी से घिरा है
लग ही नहीं रहा कि ये पटना है। राजधानी के ऐसे हालात समझ से परे है। घर पानी से घिरा है और सांस अटकी हुई है। जिंदगी में ऐसा कभी नहीं देखा। बाढ़ जब शहर में आ जाए तो समझ जाइए कि पूरी व्यवस्था ध्वस्त है। सरकार के दावों की हवा निकल गई है। पाटलिपुत्रा का पूरा इलाका गांव से बदतर हालात में है। इस क्षेत्र में रहने वालों की जान हमेशा मुश्किल में है। 
-खुश्बू, पाटलिपुत्रा 

पहली बार ऐसी संकट की घड़ी आई है
जिदंगी में ऐसे दिन कभी नहीं देखे थे। पहली बार ऐसी संकट की घड़ी सामने आई है। बचपन में मां बाप से सुना करते थे कि बाढ़ में कैसे लोगों का जीना मुश्किल हो जाता था। पटना में रहने से हमेशा एक बात को लेकर निश्चिंत रही कि यहां हर सुविधा होगी, लेकिन हालात ऐसे हो गए हैं कि पूछिए मत। घर में पानी घुस गया है और कहीं कोई सुनने वाला नहीं है। 
- रितु चौबे, किदवईपुरी 

सरकार के दावों की हवा निकली
पटना के ऐसे हालात होंगे, कभी सोचा भी नहीं था। स्मार्ट सिटी का यहां शोर है। शायद ही पटना का कोई इलाका जलजमाव से अछूता है। अगर राजधानी के हालात ऐसे हैं तो इससे अच्छा गांव है। यहां तो बस हर बात पर टैक्स लादा जाता है। सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं।
- रीता, केसरी नगर    

अब नहीं संभल रहा रसोई घर 
महिलाओं का कहना है कि बारिश के कारण रसोई घर का पूरा हाल बेहाल हो गया है। अब यह संभालने में नहीं आ रहा है। एक तरफ चिंता है कि पता नहीं कब मौसम सही होगा और दूसरी तरफ सामानों को लेकर समस्या है। हरी सब्जी तो छोड़िए घर में खाने-पीने के अन्य सामान भी खत्म हो रहे हैं। किसी को अंदाजा नहीं था कि हालात ऐसे हो जाएंगे। शहर में होने के कारण अधिकतर परिवार सामानों को स्टॉक नहीं बनाते। जरूरत के हिसाब से दुकानों से मंगाते हैं। अब तो लगता है कि जल्दी हालात सुधरने वाले भी नहीं है। ऐसे में परेशानी बढ़ रही है। घर के जरूरी सामानों की उपलब्धता सुनिश्चित तो करनी ही पड़ेगी। यह तब संभव है, जब मौसम ठीक हो।

गरीबों की तो मुश्किलें और बढ़ने लगीं
हर घर की एक जैसी कहानी है। गरीब परिवार पर बारिश का कहर भारी पड़ रहा है। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें। पटना के दर्जनों ऐसे मोहल्ले हैं, जहां घर-गृहस्थी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। बारिश के कारण न तो लोग बाहर निकल पा रहे हैं और न ही कोई सामान घर में पहुंच रहा है। मजदूर वर्ग के लोगों की परेशानी तो पूछिए मत। वह काम पर नहीं जा पा रहे हैं। इससे दो वक्त की रोटी जुटानी मुश्किल हो रही है। अब सवाल यह है कि कैसे गृहस्थी चलेगी। इसपर बारिश की मार से हाल और बेहाल है। हालात अभी सुधरता भी नहीं दिख रहा है। फुटपाथ की सारी दुकानें बंद हैं। प्रमुख बाजारों की दुकानों पर ताला लटक रहा है। हर ओर पानी भरा हुआ है। 

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