राहत: बिहार में कमजोर साबित हो रहा घातक कोरोना, 9 दिन में ही जंग जीत ले रहे लोग
- कोरोना वायरस संकट के इस दौर में पटना समेत पूरे बिहार के लोगों के लिए राहत की खबर है। कोविड-19 महामारी से एक तरफ जहां पूरी दुनिया त्रस्त है, वहीं बिहार के लोगों पर कोरोना अपना घातक असर नहीं दिखा पा रहा है।

कोरोना वायरस संकट के इस दौर में पटना समेत पूरे बिहार के लोगों के लिए राहत की खबर है। कोविड-19 महामारी से एक तरफ जहां पूरी दुनिया त्रस्त है, वहीं बिहार के लोगों पर कोरोना अपना घातक असर नहीं दिखा पा रहा है। एक ओर जहां, बिहार में पाए गए 80 फीसदी कोविड-19 संक्रमितों में कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है। इन मरीजों में सर्दी, खांसी, बुखार अथवा बदन दर्द जैसे कोई लक्षण नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, अगर कोई शख्स संक्रमित हो भी जा रहा है तो वह आठ से 10 दिन में पॉजिटिव से निगेटिव हो जा रहा है। यानी बिहार के कोरोना मरीज महज 8 से दस दिन में ही रिकवर हो जा रहे हैं और कोरोना को मात दे रहे हैं।
14 दिन है क्वारंटाइन की अवधि
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना संक्रमितों के लिए 14 दिन क्वारंटाइन में रखने की बात कही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के 14वें दिन उनका सैंपल लेने और निगेटिव पाए जाने पर उन्हें डिस्चार्ज करने की गाइडलाइन जारी की थी। मगर अच्छी बात ये है कि बिहार में लोग आठ से 10 दिन में ही निगेटिव आ जा रहे हैं। इससे कोरोना के इलाज से जुड़े विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी उत्साह बढ़ा है।
बिहारियों की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर
पीएमसीएच के मेडिसीन विभाग के अध्यक्ष सह कोरोना के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ. एमपी सिंह के मुताबिक, 'बिहार के लोगों पर कोरोना का घातक असर नहीं दिख रहा है। यहां के लोगों के प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण ही मृत्युदर अन्य राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात अथवा दिल्ली की अपेक्षा काफी कम है। सैकड़ों उदाहरण आए जिनमें लोग पीड़ित हैं, लेकिन उनमें बुखार-खांसी जैसे कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। कई ऐसे भी लोग हैं जिनमें कोरोना के कारण आम फ्लू वाली बीमारियों जैसी ही परेशानी दिखती है।'
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर ने भी नई गाइडलाइन में अब क्वारंटाइन की अवधि को14 दिनों से घटाकर नौ दिनों का करने का प्रस्ताव राज्य सरकारों को दिया है। आईसीएमआर का मानना है कि नौ दिनों में वायरस का असर शरीर से खत्म हो जाता है। लेकिन ऐसा अन्य राज्यों के संक्रमितों में भले नहीं दिखता है, लेकिन बिहार के लोगों में ऐसा दिख रहा है।
विशेषज्ञों की राय
आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. आरएन विश्वास ने भी कहा कि बिहार के लोगों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ रहा है। अन्य राज्यों के तुलना में यहां मृत्युदर भी काफी कम है। एक तो प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से ऐसा है दूसरे जीन में भी कुछ खास होगा। इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
बिहार में कमजोर साबित हो रहा कोरोना
कोरोना संक्रमितों के इलाज से सीधे जुड़े एनएमसीएच के डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार के संक्रमितों में कोरोना सिर्फ उन्हीं को अपना शिकार बना रहा है, जो पहले से कैंसर, किडनी रोग, ट्यूमर आदि जैसी घातक बीमारियों से ग्रसित थे। उन्होंने बताया कि उनके यहां अबतक एक भी साधारण संक्रमित को वेंटिलेटर तक जाने की जरूरत नहीं पड़ी। सभी सामान्य इलाज से स्वस्थ होकर लौट रहे हें। उन्होंने बताया कि बिहार में वायरस की शक्ति भी कमजोर हो सकती है। क्योंकि यहां यह वायरस चाइना से सीधे नहीं आकर वाया इटली, मध्य एशिया, मुंबई, दिल्ली,गुजरात आदि के लोगों से होते हुए बिहार के लोगों को संक्रमित कर रही है। कई विशेषज्ञ इसका अध्ययन भी कर रहे हैं।
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