कई कैंसर विशेषज्ञों से महरूम हुआ बिहार, 12 साल से बंद PG की पढ़ाई, वजह.. एक मशीन
- पटना के पीएमसीएच में एक मशीन के न होने से करीब 12 साल से पीजी की पढ़ाई बंद है। पीएमसीएच के कैंसर रोग विभाग में एक रेडिएशन मशीन नहीं होने का खामियाजा मरीजों के साथ-साथ यहां के विद्यार्थियों को भी भुगतना पड़ रहा है।

पटना के पीएमसीएच में एक मशीन के न होने से करीब 12 साल से पीजी की पढ़ाई बंद है। पीएमसीएच के कैंसर रोग विभाग में एक रेडिएशन मशीन नहीं होने का खामियाजा मरीजों के साथ-साथ यहां के विद्यार्थियों को भी भुगतना पड़ रहा है। यहां एक रेडिएशन मशीन नहीं होने की वजह से पीएमसीएच ओंकोलॉजी रेडिएशन में पीजी की छह सीटों पर पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह पढ़ाई साल 2007 से ही बंद है।
2007 में कोर्स हुआ था बंद
साल 2007 में एमसीआई की टीम ने पीएमसीएच के कैंसर डिपार्टमेंट का निरीक्षण किया था। और रेडिएशन मशीन नहीं रहने की वजह से एमसीआई ने पीजी (एमडी) कोर्स की पढ़ाई पर तत्काल रोक लगा दी। इस कारण हर साल छह सीटों पर नामांकन नहीं हो पा रहा है। अगर पढ़ाई जारी रहती तो अब तक बिहार को कैंसर-रेडिएशन के कई विशेषज्ञ चिकित्सक मिले होते।
दो साल पहले भी घोषणा हुई थी
इस मामले पर कैंसर रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित ने कहा कि ब्रेकी थेरेपी मशीन के लिए दो साल पहले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 3.5 करोड़ रुपए देने की घोषणा भी की थी। बावजूद इसके अबतक मशीन नहीं लग पाई। मशीन की खरीद के लिए बीएमएसआईसीएल द्वारा इसके लिए टेंडर भी किया जा चुका है। लॉकडाउन के पहले कुछ कंपनियों ने मशीन के लिए स्थल भ्रमण की भी बात कही थी। मगर लॉकडाउन की वजह से कंपनी के किसी भी प्रतिनिधि ने अबतक अस्पताल का भ्रमण नहीं किया है।
पुराना कैंसर संस्थान की हालत खस्ता
देश का सबसे पुराना कैंसर संस्थान पीएमसीएच में ही है। बावजूद यह संस्थान संसाधनों की कमी झेल रहा है। ब्रेकीथेरेपी मशीन नहीं होने के कारण पीएमसीएच में आनेवाले गरीब मरीजों को आंतरिक रेडिएशन के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाता है।
रेडिएशन के लिए बंगाल भेजे जाते हैं मरीज
विभागाध्यक्ष का कहना है कि मरीजों को नि:शुल्क रेडिएशन के लिए पश्चिम बंगाल के चित्तरंजन नेशनल अस्पताल में भेजा जाता है। नजदीक में वही ऐसा अस्पताल है, जहां पीएमसीएच की तरह नि:शुल्क रेडिएशन की सुविधा उपलब्ध है। आंतरिक रेडिएशन के तहत मरीजों की सिंकाई होती है। निजी अस्पतालों में इसके लिए कम से कम 50 हजार रुपया लिया जाता है। उन्होंने कहा कि मशीन नहीं रहने का खामियाजा सबसे अधिक गरीब मरीज ही भुगत रहे हैं।
अन्य खबरें
पटना वाले ध्यान दें, कंटेनमेंट जोन में CBSE के परीक्षा सेंटर नहीं होंगे
पटना में 64 स्कूलों से क्वारंटाइन सेंटर हटाए गए, सैनिटाइज कर किया जाएगा हैंडओवर
बिहार में पकने लगी सियासी खिचड़ी, मांझी के घर देर रात मिले उपेंद्र-सहनी,RJD नहीं
पटना हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, लोकायुक्त कोई सुपर एग्जीक्यूटिव संस्था नहीं है