बिहार में शराबबंदी कानून पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने जमुई एसपी से मांगा जवाब

Smart News Team, Last updated: Sun, 21st Mar 2021, 12:30 AM IST
  • बड़ी खेप के साथ पकड़े गए गाड़ी के ड्राइवर के खिलाफ तय समय सीमा के भीतर आरोप पत्र दायर नही किये जाने पर जमानत का लाभ मिलने के मामले में नाराज पटना हाईकोर्ट ने जमुई के एसपी से जबाब तलब किया है. कोर्ट ने एसपी को चार सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण दायर करने का आदेश दिया है.
बिहार में शराबबंदी कानून पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने जमुई एसपी से मांगा जवाब.( सांकेतिक फोटो )

पटना: शराब शराबबंदी के बाद भी बड़ी खेप के साथ पकड़े गए गाड़ी के ड्राइवर के खिलाफ तय समय सीमा के भीतर आरोप पत्र दायर नही किये जाने पर जमानत का लाभ मिलने के मामले में नाराज पटना हाईकोर्ट ने जमुई के एसपी से जबाब तलब किया है. कोर्ट ने एसपी को चार सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण दायर करने का आदेश दिया है. जवाब तलब में कहा गया है की आखिर इतने दिनों में चार्जशीट क्यों नहीं फाइल हुई.

कोर्ट ने अपने पत्र में एसपी से जानना चाहा है कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक कितना प्राथमिकी दर्ज की गई है और कितने केसों में तय समय सीमा के भीतर चार्जशीट का पूरा किया है और कितने मामलों में पूरा नहीं किए जाने का लाभ अभियुक्तों को मिला है. कोर्ट ने कहा है कि जमुई जिला में शराबबंदी कानून का कितना केस दर्ज किया गया और कितने केसों में पुलिस तय समय सीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल की है. कोर्ट ने कहा कि एसपी यह भी बताएं कि किस कारण से तय समय सीमा के भीतर पुलिस अनुसंधान का काम पूरा नहीं कर पाती है.

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पटना हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार की एकलपीठ ने शमसुद्दीन अंसारी की ओर से दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई की. मामले पर जैसे ही सुनवाई शुरू हुई कि अभियुक्त के वकील ने जमानत याचिका वापस लेने का अनुरोध कोर्ट से किया. हालांकि कोर्ट ने अर्जी वापस लेने के अनुरोध को मंजूर करते हुए अर्जी वापस लेने का कारण जानना चाहा. अभियुक्त के वकील ने कोर्ट को बताया कि कानून के तहत तय समय सीमा के भीतर पुलिस आरोप पत्र दायर नही कर सकी. जिसका लाभ अभियुक्त को मिला और वह जमानत पर छूट गया.

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इस बात पर कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर क्या बात है कि शराबबंदी से जुड़े मामले में पुलिस तय समय सीमा के भीतर विवेचनय पूरी नहीं कर पाती है. जबकि कई मामलों में पुलिस दो से तीन दिनों में अनुशंधान पूरी कर अभियुक्त को सजा दिला देती है.

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लेकिन शराब से जुड़े हैं मामलों में पुलिस अनुसंधान पूरी करने में देरी क्यों लगती हैं.कोर्ट का कहना था कि शराब का बड़ी खेप मामले में पुलिस अनुशंधान पूरी नही कर पाती हैं। मालूम हो की गत गुरुवार को मुजफ्फरपुर जिले से जुड़े एक मामले में भी अभियुक्त को निचली अदालत से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के आरोप-पत्र8 में दायर नही किये जाने पर अभियुक्त को जमानत मिल गई थी.

 

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