IIT पटना की इस तकनीक से पटरी पर हाईस्पीड दौड़ेगी ट्रेनें, वर्तमान ट्रैक को कारगर बनाने पर रिसर्च
- IIT पटना के सहयोग से प्रोफेसर सैयद केके हुसैनी ने भारत में रेल की वर्तमान पटरियों को ही हाईस्पीड बनाने पर रिसर्च कर रहे हैं. इस रिसर्च के बाद हाइस्पीड की ट्रेनें अपनी स्वाभाविक गति से गुजरेगी.

पटना. भारतीय रेल की ट्रेनों की ऱफ्तार पर खास ध्यान देने की जरूरत है. ट्रेनों के स्वाभाविक स्पीड से भी कम गति पर चलने के कारण यात्री को हमेशा ही तय से अधिक समय लग जाता है, जिससे काफी परेशानी होती है. दरअसल ट्रेनों के कम रफ्तार से चलाए जाने का कारण है रेल की पटरियों के नीचे बिछाई जाने वाली गिट्टी का टूट जाना या बिखरना. इसके कारण पटरियों के धंसने का डर बना रहता है, जिस कारण ट्रेन को कम स्पीड पर चलाया जाता है.
इस दिशा में आईआईटी पटना में रिसर्च पर काम किया जा रहा है. आईआईटी पटना के सहयोग से आईआईटी पटना के सिविल और एन्वायरमेंटल विभाग के प्रोफेसर सैयग केके हुसैनी इस तकनीक पर शोध कर रहे हैं कि भारतीय परिस्थियों में इसे कैसे ज्यादा बेहतर और कारगर बनाया जा सके.
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प्रो. केके सैयद हुसैनी ट्रेन की स्पीड बढ़ाने को लेकर एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे पटरियों के नीचे बिछाई जाने वाली गिट्टियां कम टूटेंगी और बिखरेगी. बार-बार गिट्टी के बिखने से ट्रैक के मेंटेंनेंस की जरूरत पड़ती है, जिसमें श्रम, समय और पैसा खर्च होता है. केके सैयद IIT पटना के सहयोग से इसी दिशा में काम कर रहे हैं. ट्रेन की पटरियों पर रिसर्च कर स्पीड बढ़ाने के लिए विदेशी तकनीक को देसी परिवेश में ढालने की कवायद की जा रही है.
इस रियर्च को लेकर केके सैयद का कहना है कि, अगर ट्रैक पर बिछाई जाने वाली गिट्टी के बीच एक निश्चित दूरी पर प्लास्टिक का बना चादरनुमा मैचेरियल को इस्तेमाल किया जाए तो इस समस्या को कम किया जा सकता है. इससे ट्रेन की आवाजाही के दौरान पटरियों के नीचे से गिट्टी नहीं हटेगी, जिससे हाईस्पीड ट्रेनें अपनी स्वाभाविक गति से ट्रैक पर चलेगी. इस तकनीक से विदेशों ने हाइस्पीड ट्रेनों का परिचाल सफल रहा है.
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