12 कोरोना वैक्सीन लेने वाले 84 साल के बुजुर्ग बोले- पुलिस तंग ना करे नहीं तो जान दे दूंगा

Swati Gautam, Last updated: Thu, 13th Jan 2022, 7:57 PM IST
  • कोरोना वैक्सिन की 12 डोज लगवाने वाले 84 साल के बुजुर्ग की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है वहीं बुजुर्ग ब्रह्मदेव मंडल ने भी एक वीडियो क्लिप जारी कर धमकी देते हुए कहा है कि अगर मेरे खिलाफ अत्याचार और उत्पीड़न बंद नहीं हुआ और पुलिस ने मुझे परेशान करना बंद नहीं किया तो मैं खुद को मार डालूंगा.
कोरोना वैक्सिन की 12 डोज लगवाने वाले 84 साल के ब्रह्मदेव मंडल

पटना. कोरोना वैक्सिन की 12 डोज लगवाने वाले मधेपुरा के 84 साल के बुजुर्ग की गिरफ्तारी के लिए पुलिस उनके घर और अन्य स्थानों पर छापेमारी कर रही है वहीं बुजुर्ग ब्रह्मदेव मंडल ने भी एक वीडियो क्लिप जारी कर में खुद को निर्दोष बताते हुए धमकी देते हुए कहा है कि अगर मेरे खिलाफ अत्याचार और उत्पीड़न बंद नहीं हुआ और पुलिस ने मुझे परेशान करना बंद नहीं किया तो मैं खुद को मार डालूंगा. मैंने अपने स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब किया है. पहली खुराक और दूसरी खुराक के बाद मुझे वैक्सीन के लाभ का पता चला और इसलिए मैं टीकाकरण शिविरों में गया, जहां किसी ने भी मुझे टीका लगाने से नहीं रोका.

वहीं ब्रह्मदेव मंडल की जान से मर जाने की धमकी के बाद मधेपुरा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर 84 वर्षीय बुजुर्ग ब्रह्मदेव मंडल के समर्थन में आगे आए हैं. उन्होंने कहा कि मैंने एसपी मधेपुरा को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है और बुजुर्ग को गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगी है. उन्होंने कहा कि डर की वजह से वृद्ध की जान भी जा सकती है. वहीं विधायक ने स्वास्थ्य विभाग पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने उनकी खामियों को छिपाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की है. उन्होंने इस मामले की गहन जांच की भी मांग की है.

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विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने हैरानी जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुजुर्ग के दावे को कैसे सच मान लिया. आदमी अपने बुढ़ापे के कारण दिमाग से अस्थिर हो सकता है और इसलिए उसके बयान / दावे को सच नहीं माना जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा देने का दावा करती है और एक बुजुर्ग लगातार पुलिस के डर से जी रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग की भी जांच होनी चाहिए. उनकी खामियों को छिपाने के लिए ही विभाग ने प्राथमिकी दर्ज की है.

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