मैडम, स्कूल में शौचालय बनवाइए

Malay, Last updated: Tue, 5th Nov 2019, 6:26 PM IST
मैडम, हमलोग पूरे समय स्कूल में रहकर पढ़ाई करना चाहते हैं, परंतु बीच में ही स्कूल छोड़कर जाना पड़ता है। अगर शौचालय होता तो शायद यह नौबत कभी नहीं आती। स्कूल जाते हैं तो हमलोग पानी नहीं पीते। इसकी वजह से...
पटना जिले के चार हजार 54 में से 1154 स्कूलों में नहीं है शौचालय, विद्यार्थियों को हो रही दिक्कत

मैडम, हमलोग पूरे समय स्कूल में रहकर पढ़ाई करना चाहते हैं, परंतु बीच में ही स्कूल छोड़कर जाना पड़ता है। अगर शौचालय होता तो शायद यह नौबत कभी नहीं आती। स्कूल जाते हैं तो हमलोग पानी नहीं पीते। इसकी वजह से पेट से संबंधित बीमारियां भी जकड़ रही हैं। इन सबका कारण स्कूल में शौचालय का न होना है। इसकी वजह से हमलोगों को बहुत परेशानी होती है। यह ऐसी बेटियों की पीड़ा है, जिनके स्कूलों में शौचालय नहीं है। एक-दो स्कूलों की बात नहीं है। 

आप सुनकर चौंक जाएंगे कि पटना जिले के 1154 स्कूलों की स्थिति यही है। खास बात तो यह कि इनमें 557 स्कूल केवल छात्राओं के लिए है। जिले में कुल चार हजार 54 स्कूल हैं। उधर, प्रधानाध्यापकों ने इस परेशानी को समझा है। चूंकि कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों को बेटियों ने इस तरह की परेशानी के बारे में लिखित में दिया है। प्रधानाचार्यों ने इस समस्या से जिला शिक्षा कार्यालय को भी अवगत करा दिया है। प्रधानाचार्यों ने एक ओर पीड़ा बताई है। उनका कहना है कि एक-एक स्कूल से 25-25 विद्यार्थी स्कूल से बीच में पढ़ाई छोड़कर सिर्फ इसलिए चले जाते हैं कि शौचालय नहीं है। हर दिन सुबह में उपस्थिति तो रहती है, लेकिन दोपहर बाद कम हो जाती है। स्कूल प्रशासन की मानें तो 11 बजे के बाद शौचालय की मजबूरी बताकर 20-25 बच्चे हर दिन स्कूल से चले जाते हैं। 

स्वच्छता की बातें कागजों में 
तरक्की के सारे घोड़े कागजों में दौड़ाए जा रहे हैं। प्रदेश की राजधानी में शिक्षा व्यवस्था ऐसी है, जो शायद शर्मसार करती है। स्कूलों में शौचालय की स्थापना करने को लेकर आखिर किस स्तर से प्रयास होगा। परंतु नहीं। आंकड़े हमारी हकीकत बयां करते हैं। बेटियों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जिम्मेदारों को आखिर यह समस्या क्यूं नहीं दिखती। बेटों को तो छोड़िए, बेटियों के स्कूलों में शौचालय नहीं है और स्वच्छता की बातें हम कदम-कदम पर कर रहे हैं। ईश्वर जाने, इस तरह की समस्या से पटना की बेटियों को कब छुटकारा मिलेगा और वह बेहिचक पूरे समय स्कूल में रह पाएंगी।

ये हैं उदाहरण 
मध्य विद्यालय नुरूद्दीनगंज, मालसलामी ऐसे ही स्कूलों में शामिल है, जहां शौचालय नहीं है। इस स्कूल में एक भी शौचालय नहीं है। यहां बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ जाते हैं। खास तौर से छात्राओं को तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसी तरह माध्यमिक विद्यालय, धनरुआ, प्राथमिक विद्यालय, बोरिंग रोड, प्राथमिक विद्यालय कदमकुआं में छात्रों के साथ छात्राएं भी पढ़ती हैं। इन स्कूलों में दो सौ से अधिक छात्र और छात्राएं हैं। इन स्कूलों में एक भी शौचालय नहीं है। स्कूल प्रशासन ने कई बार डीईओ कार्यालय को लिखकर शौचालय बनवाने की मांग की है। फिर भी समस्या जस की तस है। 

विद्यालय में शौचालय नहीं है। इसको लेकर जिला शिक्षा कार्यालय को लिखित में दिया है। बावजूद इसके अब तक शौचालय नहीं बनाया गया है। शौचालय नहीं होने के कारण बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं।
-मनोज कुमार, प्राचार्य, मध्य विद्यालय नुरूद्दीनगंज, मालसलामी 

समस्या का जल्द होगा समाधान
कई स्कूलों से लिखित में सूचना दी गई है कि शौचालय नहीं है। वहां की समस्याएं बताई गई हैं। शौचालय की दिक्कत जिन स्कूलों में है, उनकी समस्या का समाधान जल्द होगा। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। 
-ज्योति कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना। 

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