गड्ढे में सड़क: पटना के 80% गली-मोहल्लों की सड़कों का है बुरा हाल

Malay, Last updated: Sun, 8th Sep 2019, 1:42 AM IST
नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कई योजनाएं मिलकर भी शहर की सड़कों की सूरत नहीं बदल पाईं। 2018 में लागू मुख्यमंत्री सात निश्चय कच्ची नली गली योजना के तहत शहर की सड़कों की हालत सुधारनी थी। इसके लिए करोड़ों...
पोस्टल पार्क जाने वाली इस सड़क पर 12 महीने जलजमाव रहता है।

नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कई योजनाएं मिलकर भी शहर की सड़कों की सूरत नहीं बदल पाईं। 2018 में लागू मुख्यमंत्री सात निश्चय कच्ची नली गली योजना के तहत शहर की सड़कों की हालत सुधारनी थी। इसके लिए करोड़ों रुपए की स्वीकृति भी मिली, पर करीब 50 वार्ड ऐसे हैं, जहां पुरानी सड़कों की मरम्मत और नई सड़कों के निर्माण में हाथ तक नहीं लगा है। इन वार्डों के लोग हर रोज हजारों गड्ढों से गुजरते हैं। इससे उन्हें कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

बनी है 2,500 करोड़ की योजना 
पिछले साल मुख्यमंत्री ने तत्कालीन आयुक्त अनुपम कुमार सुमन के कार्यकाल में कहा था कि सभी वार्डों की सड़कें चिह्नित कर डीपीआर सरकार को भेजा जाए, ताकि एक ही बार में सड़कों का निर्माण करवाया जा सके। निगम ने करीब ढाई हजार किमी की दूरी में आने वाली सड़कों को चिह्नित करसरकार को प्रस्ताव भेजा। इसपर 2,500 करोड़ की योजना स्वीकृत भी की जा चुकी है, पर वार्डों की सड़कों का हाल अभी भी ज्यों का त्यों है। 

इन कामों के लिए खोद डाली सड़क
गैस पाइप लाइन 

शहरवासियों की रसोई तक गैस पहुंचाने के लिए गेल की ओर से 2018 में वार्डों की सड़कों को खोद दिया गया। सड़कों में बनाए गए इन गड्ढों में पीएनजी की पाइपलाइन तो बिछाई गई, लेकिन सड़कों की मरम्मत नहीं की गई। 

सीवरेज 
शहर के 70 वार्डों में नमामि गंगे परियोजना के तहत सड़कों की सूरत सीवरेज पाइपलाइन की वजह से बिगड़ गई है। जमीन में कई फीट तक सड़कों की खुदाई कर दी गई। 50 फीसदी सड़कों पर आजतक काम पूरा नहीं हुआ। 

बिजली
शहर की यातायात व्यवस्था ठीक करने व सड़कों के किनारे से बिजली के पोल हटाने के चक्कर में बिजली विभाग ने कई वार्डों में निगम की सड़कें खोद दीं। विभाग ने बिजली का केबिल तो जमीन में बिछा दिया लेकिन सड़कों की मरम्मत नहीं की गई। 

रख-रखाव
वार्डों में सड़कों की मरम्मत के लिए अलग-अलग निधि से हर साल करोड़ों रुपये आवंटित होते हंै। इसके बाद भी इन सड़कों की मरम्मत व देखरेख नहीं हो पा रही है। वार्डों की सड़कें करीब एक दशक से भी पुरानी हो चुकी हैं। बरसात में जलजमाव हो जाता है।

बढ़ रहीं बीमारियां
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ रमित गुंजन बताते हैं कि अधिक यात्रा करने या फिर गड्ढे वाली सड़कों पर वाहन तेज रफ्तार में चलाने से स्लिप डिस्क और स्पाइनल फ्रैक्चर के मामले आते हैं। ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उम्र दराज लोगों के साथ युवाओं को भी स्लिप डिस्क हो रहा है। 

इन मदों से किया जाता है सड़कों का निर्माण
- मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना
- मुख्यमंत्री 5वां वित्त आयोग
- मुख्यमंत्री 14वां वित्त आयोग
- पार्षद निधि से हर वर्ष 2 करोड़
- विधायक निधि से हर वर्ष 3 करोड़
- सांसद निधि से हर वर्ष 5 करोड़

शहर की कई सड़कों के निर्माण का काम चल रहा है। कुछ वार्डों में सड़कों के निर्माण की योजना स्वीकृत है। बाकी के वार्डों को अगली योजनाओं में लेकर निर्माण करवाया जाएगा। 
-सीता साहू, महापौर पटना

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