संतान सुख देने वाला है अक्षय नवमी व्रत

Malay, Last updated: Mon, 4th Nov 2019, 10:11 PM IST
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, जो कि इस साल 05 नवंबर यानी मंगलवार को मनाई जाएगी। पूरे उत्तर व मध्य भारत में इस नवमी का खास महत्व है।...
akshaya navami

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, जो कि इस साल 05 नवंबर यानी मंगलवार को मनाई जाएगी। पूरे उत्तर व मध्य भारत में इस नवमी का खास महत्व है। महिलाएं संतान प्राप्ति व उसकी मंगलकामना के लिए यह व्रत विधि-विधान के साथ करती हैं। आइए आपको आंवला नवमी की कथा और पूजा विधि के बारे में बताते हैं।  

काशी नगर में एक नि:संतान धर्मात्मा वैश्य रहता था। धन आदि होने के बावजूद वह दुखी रहते थे। एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी पराए लड़के की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा। यह बात जब वैश्य को पता चली तो उसने अस्वीकार कर दिया। परंतु उसकी पत्नी मौके की तलाश में लगी रही। एक दिन एक कन्या को उसने कुएं में गिराकर भैरो देवता के नाम पर बलि दे दी, इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ। लाभ की जगह उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया तथा लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी। वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने सारी बात बता दी।

इस पर वैश्य कहने लगा गोवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं जगह नहीं है। इसलिए तू गंगा तट पर जाकर भगवान का भजन कर तथा गंगा में स्नान कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है। वैश्य की पत्नी पश्चाताप करने लगी और रोग मुक्त होने के लिए मां गंगा की शरण में गई। तब गंगा ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला के वृक्ष की पूजा कर आंवले का सेवन करने की सलाह दी थी। जिस पर महिला ने गंगा माता के बताए अनुसार इस तिथि को आंवला वृक्ष का पूजन कर आंवला ग्रहण किया था और वह रोगमुक्त हो गई थी। इस व्रत व पूजन के प्रभाव से कुछ दिनों बाद उसे संतान की प्राप्ति हुई। तभी से हिंदुओं में इस व्रत को करने का प्रचलन बढ़ा। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।

आंवला नवमी पर पूजा की विधि
महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला के वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली आठ परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।  

धन की कमी दूर करेंगे ये उपाय 
मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिव जी का निवास होता है, यही वजह है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने पर इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आंवला नवमी पर ये उपाय करने से आपके पास धन की कमी नहीं रहेगी। 
- आंवला नवमी वाले दिन पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव, विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें, ऐसा करने से घर में पैसों की कमी दूर हो सकती है।
- गरीबों और ब्राह्मणों को आंवला दान करें, कहा जाता है कि ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
- आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को खिलाएं। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- आंवला नवमी के दिन घर में आंवले का पौधा लगाएं, ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।
- आंवला नवमी वाले दिन आंवले के पेड़ पर हल्दी का स्वास्तिक बनाएं, ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
- आंवला नवमी पर चंदन व हल्दी मिलाकर आंवले की जड़ में डालें, ऐसा करने से आपका रुका हुआ पैसा जल्दी मिल सकता है। 

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