जीपीओ में साबुन से चल रहा काम

Malay, Last updated: Sun, 22nd Mar 2020, 1:44 PM IST
बैंक कर्मियों को कोरोना वायरस का डर सबसे अधिक सता रहा है। लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। सड़क, बाजार, मॉल सहित भीड़भाड़ वाले ज्यादातर इलाके सुनसान हैं। वहीं, पैसे के लेन-देन के लिए लगातार बाहर...
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बैंक कर्मियों को कोरोना वायरस का डर सबसे अधिक सता रहा है। लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। सड़क, बाजार, मॉल सहित भीड़भाड़ वाले ज्यादातर इलाके सुनसान हैं। वहीं, पैसे के लेन-देन के लिए लगातार बाहर से आ रहे लोगों से सीधा सामना बैंक कर्मी पूरे दिन कर रहे हैं। निजी से लेकर सरकारी बैंकों में भी कर्मचारियों को संक्रमण का डर सता रहा है। बैंक सेक्टर में हर हाथ के नोट को अपने हाथ में लेना उनकी पहली ड्यूटी है। इसी दौरान संक्रण फैसले का डर है। सैनिटाइजेशन की व्यवस्था बेहतर नहीं होने के कारण कर्मचारी लगातार प्रबंधन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जिन बैंकों में नोट गिनने की मशीन नहीं है। वहां परेशानी और बढ़ जा रही है। हालांकि, कुछ बैककर्मी हाथ से नोट पकड़े बिना रखना सही नहीं मानते। उनका कहना है कि इससे जाली नोट बैंकों में पहुंचने की संभावना है।

जीपीओ के डाकघर बैंक में छाया है सन्नाटा, फिर भी दहशत में कर्मी
हिन्दुस्तान स्मार्ट ने जीपीओ के डाकघर बैंक में स्वच्छता नहीं होने की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। यहां बैंक के पिछले हिस्से में जहां प्रवेश द्वार है। वहीं हाथ धोने के लिए साबुन रखा गया है। सेनिटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं है। हैंडवास भी नहीं रखा गया है। महज एक साबुन के भरोसे कर्मचारियों का सेनिटाइजेशन चल रही है। कुछ कर्मी ऐसे भी हैं, जिनके पास अपना सेनिटाइजर है। मास्क भी खुद ही लाना पड़ रहा है। यहां हाथ से ही नोट गिनना पड़ता है। 12 काउंटर में नोट गिनने के लिए महज एक मशीन दी गई है। कर्मचारी हाथ से नोट गिनने से कचरा रहे हैं।

गांधी मैदान एसबीआई में तत्परता दिखी
गांधी मैदान स्थित एसबीआई के मुख्यालय में अब भी सैकड़ों लोगों की भीड़ हर वक्त उमड़ रही है। यहां पहुंचते ही अंदर प्रवेश करने से पहले गेट पर ही सैनिटाइजर से आपका स्वागत होता है। हाथ पर केमिकल लगाने के बाद ही लोग अंदर प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि, इस दौरान सिर्फ दो बूंद सैनिटाइजर रखकर हाथ को साफ मान लिया जा रहा है। बैंक कर्मी बता रहे हैं कि असली डर हर हाथ से लिए जा रहे नोट का है। इसके ही संक्रमण फैलने का सबसे अधिक डर है। बैंक प्रबंधन की ओर से हवा का छिड़काव भी कराया जा रहा है। मगर कर्मचारी अपने खर्च पर ही ज्यादातर उपकरण प्राप्त कर रहे हैं।

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