कॉलेस्ट्रोल के स्तर से पता चलेगा हृदय रोग का खतरा

Malay, Last updated: Wed, 4th Mar 2020, 6:22 PM IST
दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का जोखिम 45 की उम्र के बाद अधिक होता है, लेकिन युवावस्था में ही कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखना दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। युवावस्था के दौरान...
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का जोखिम 45 की उम्र के बाद अधिक होता है, लेकिन युवावस्था में ही कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखना दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। युवावस्था के दौरान रक्त में मौजूद कॉलेस्ट्रोल के स्तर को जांचकर भविष्य में होने वाले हृदयरोग के खतरों की आशंका का पता लगाया जा सकता है। यह दावा हाल ही में हुए एक शोध में किया गया है। 

लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, 45 साल से कम उम्र के ऐसे पुरुष जिनमें कॉलेस्ट्रोल का स्तर बहुत अधिक था, उन्हें 75 साल की उम्र में स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने की आशंका 30 फीसदी अधिक थी, वहीं महिलाओं में इसका खतरा 16 फीसदी अधिक था। इस अध्ययन में  युवावस्था में कॉलेस्ट्रोल का स्तर और बाद की उम्र में हृदय रोग के जोखिम के बीच के संबंधों की गहनता से जांच की गई। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन में हमने उच्च कॉलेस्ट्रोल को अधिक वजन, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और शराब के सेवन से भी जोड़ा है। हालांकि, कॉलेस्ट्रोल के उच्च स्तर से हृदय रोग का खतरा होता है, यह पहले हुए शोधों में साबित हो चुका है। लेकिन इस शोध में वैज्ञानिकों ने युवावस्था में कॉलेस्ट्रोल के स्तर और बुढ़ापे में आने वाले हृदयाघात और स्ट्रोक के बीच संबंध स्थापित किया है। 

ऐसे किया गया शोध 
इस नए विस्तृत शोध में 19 देशों के 43 साल तक के चार लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन किया गया। जिन लोगों पर अध्ययन हुआ उनमें शुरुआत या युवावस्था में किसी को हृदय संबंधी कोई बीमारी नहीं थी। इस शोध में वैज्ञानिकों ने दशकों तक प्रतिभागियों की निगरानी की और किसी भी हृदय रोग की घटना का विवरण लिया। इसमें सभी आयु वर्ग की महिला और पुरुष प्रतिभागियों के डाटा का अध्ययन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों में हृदय रोग (घातक या मामूली) और स्ट्रोक की 54,542 घटनाएं हुईं। साथ ही इस अध्ययन में अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में हुए 38 शोधों के डाटा का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि जैसे-जैसे युवावस्था में बुरे कॉलेस्ट्रोल की मात्रा घटती गई, वैसे-वैसे 75 की उम्र तक हृदय रोग और स्ट्रोक की घटनाओं में कमी आती गई। जिन लोगों में बुरे कॉलेस्ट्रोल की मात्रा जितनी कम थी, उन्हें दिल की बीमारियों का उतना ही कम खतरा था। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंटल हेल्थ और इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक बारबरा थोरांड ने कहा कि प्राप्त डाटा से हमने इस शोध के लिए 35 से 70 साल की उम्र वाले लोगों के लिए एक मॉडल बनाया, जोकि 75 की उम्र में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, बीएमआई, डायबिटीज आदि होने की आशंका का अंदाजा लगा सके। शोध में पाया गया कि  यदि किसी 45 साल के पुरुष में कॉलेस्ट्रोल का स्तर 3.7  से 4.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर है और उसे कम करके आधा कर दिया जाता है तो हृदय रोग का खतरा 16 फीसदी से कम होकर सिर्फ चार फीसदी रह जाता है।

क्या है अच्छा और बुरा कॉलेस्ट्रोल
कॉलेस्ट्रोल एक वसा है, जो लिवर द्वारा उत्पन्न होती है। हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका को जीवित रहने के लिए कॉलेस्ट्रोल की आवश्यकता होती है। कॉलेस्ट्रोल दो तरह का होता है, एलडीएल और  एचडीएल। एलडीएल को लोग अक्सर बुरा कॉलेस्ट्रोल  कहते हैं। एलडीएल कॉलेस्ट्रोल को लिवर से कोशिकाओं में ले जाता है। अगर इसकी मात्रा ज्यादा होगी तो यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप में इकट्ठा होने लगेगा। समय बीतने के साथ एलडीएल धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता और हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 

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