स्मार्ट एक्सक्लूसिव: रेडक्रॉस का फर्जी फेसबुक पेज बनाकर खुलेआम कर रहे खून का सौदा
पटना सिटी के रहने वाले नरेश के बेटे को डेंगू हो गया था। उसकी प्लेटलेट्स लगातार गिरती जा रही थीं। डॉक्टर ने नरेश से कहा कि जल्दी से बी-निगेटिव खून ले आइए। नरेश ने कई सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन खून कहीं नहीं मिला। तभी उन्हें फेसबुक पर रेडक्रॉस सोसाइटी का पेज दिखाई दिया। उसमें एक मोबाइल नंबर दिया था और लिखा था कि हर प्रकार का खून उपलब्ध है। उन्होंने फेसबुक पेज पर दिए नंबर से संपर्क किया। एक यूनिट खून की कीमत 8 हजार रुपए बताई गई। सौदा तय होते ही नरेश की बताई गई जगह पर एक व्यक्ति पहुंचा, उसने रुपए लिए और खून दे दिया। नरेश ने अपनी आपबीती हिन्दुस्तान स्मार्ट को सुनाई तो हमने पड़ताल करना शुरू किया। जब रिपोर्टर तीमारदार बनकर पहुंचा तो कई खुलासे हुए।
शहर में फैला है खून का जाल
खून के कारोबार का जाल पूरे शहर में फैला है। अस्पताल के आस पास खून के दलाल घूमते रहते हैं। पड़ताल में कई खुलासे हुए-
- दो तरीके से खून बिकता है। एक डोनर को ही अस्पताल भेज दिया जाता है, दूसरा ब्लड यूनिट भी बेची जाती हैं।
- गरीबों की लंबी सूची रहती है सौदागरों के पास। जो भी पैसा मिलता है आधा डोनर को दे दिया जाता है।
- सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंक में इनकी अच्छी पकड़ होती है। इन्हें पता होता है कि कौन सा ब्लड ग्रुप खत्म है।
- रेडक्रॉस सोसाइटी की फर्जी पर्ची आसानी से तैयार होती है, इसलिए हमेशा रेडक्रॉस के नाम पर ही होता है फर्जीवाड़ा।
यूं हुआ खेल का पर्दाफाश
रेडक्रॉस के फर्जी फेसबुक पेज पर दिए गए नंबर पर जब रिपोर्टर ने तीमारदार बनकर बात की तो दलाल ने अपना नाम विष्णु बताया।
रिपोर्टर : रेडक्रॉस से बोल रहे हैं?
विष्णु : जी हां, बताइए क्या काम है।
रिपोर्टर : मैं सिवान से आया हूं, मेरे मरीज को बी-निगेटिव खून चाहिए?
विष्णु : बी निगेटिव किसी ब्लड बैंक में नहीं है, लेकिन व्यवस्था हो जाएगी।
रिपोर्टर : करा दें बड़ी मेहरबानी होगी?
विष्णु : डोनर जाएगा आपके हॉस्पिटल में एक यूनिट दे देगा, आप आठ हजार दे देना।
रिपोर्टर : हॉस्पिटल में ब्लड बैंक नहीं है?
विष्णु : हॉस्पिटल की सेटिंग होती है, वह व्यस्था करा देते हैं।
20 हजार तक में बेचा गया है खून
शहर में जब डेंगू महामारी की तरह फैला था, तब एक यूनिट की कीमत 20 हजार रुपए तक पहुंच गई थी। रेडक्रॉस के अधिकारियों ने इसकी शिकायत पुलिस से भी की थी। उनका कहना है कि रेडक्रॉस के नाम पर लोग खून का कारोबार करते हैं। पाटलिपुत्रा में एक ऐसे गिरोह को पुलिस ने पकड़ा भी थी। 2019 में आधा दर्जन शिकायतें पुलिस से की जा चुकी हैं।
रेडक्रॉस के नाम पर चल रहे खून के काले कारोबार की शिकायत पुलिस और साइबर सेल में की गई है। शिकायत के बाद भी कारोबार कैसे हो रहा है, यह पुलिस के लिए सवाल है।
-वी बी सिन्हा, निदेशक, बिहार रेडक्रॉस सोसाइटी
अन्य खबरें
हीरे जैसा ही लाभ पहुंचाएंगे उसके उपरत्न
बात न करने पर ली थी छात्रा की जान
ले पंगा...मेजबान सहित चार स्कूलों का विजयी आगाज
बेहद ताकतवर ‘आंखों’ के साथ अंतरिक्ष में पहुंचा कार्टोसैट -3