VIDEO- पीएमसीएच में डॉक्टरों के इंतजार में मरीज बेहाल

Malay, Last updated: Wed, 10th Jul 2019, 1:01 PM IST
स्थान  पीएमसीएच का हड्डी रोग विभाग।  समय  सुबह के नौ बजे।  ओपीडी के पास पड़े बेड पर 56 वर्ष की शैलो देवी लेटी हैं। कमर दर्द इतना है कि उन्हें पलभर भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ जा रहा
patna medical college

स्थान : पीएमसीएच का हड्डी रोग विभाग। 
समय : सुबह के नौ बजे। 

ओपीडी के पास पड़े बेड पर 56 वर्ष की शैलो देवी लेटी हैं। कमर दर्द इतना है कि उन्हें पलभर भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ जा रहा है। मधुबनी से बेटा—बहू के साथ इस आस में पीएमसीएच पहुंचीं कि डॉक्टर को दिखा लेंगे तो आराम मिलेगा। नौ बज चुके हैं, पर डॉक्टर साहब का अता—पता नहीं है। ऐसा ही हाल गैस्ट्रोलॉजी, मेडिसिन, कान—गला, नेत्र रोग, न्यूरोलॉजी आदि विभागों का भी है। यहां भी समय से डॉक्टर नहीं पहुंचे और मरीज इंतजार करते रहे। हिन्दुस्तान स्मार्ट ने इन विभागों की मंगलवार को पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। खास बात यह है कि यहां मरीजों को दवाएं तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के दावे कितने भी किए जाएं, हकीकत की तस्वीर स्याह है। दूसरे अस्पतालों की बात कौन करे, राजधानी के पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में भी मरीजों को समय से न इलाज मिल रहा है, न ही दवाएं। ऊपर से वहां के सुरक्षाकर्मियों व अन्य स्टाफ की झल्लाहट भरी बातें भी सुननी पड़ती हैं। ऐसा लगता है कि अस्पताल आकर मरीजों ने कोई गुनाह कर दिया है। 

मंगलवार को मेडिसिन विभाग के ओपीडी में डॉ. मदनपाल सिंह का इंतजार कर रहे शंकर ने बताया कि वह आठ जुलाई की रात 10 बजे ही पटना जंक्शन पहुंच गए थे। रात स्टेशन पर गुजारी और सुबह पीएमसीएच पहुंच गए। यहां पहले पर्चा बनवाया, फिर मेडिसिन विभाग पहुंचे। पहले से ही यहां काफी भीड़ थी। साढ़े आठ बजे तक तो 50 से ज्यादा मरीज हो गए थे। नौ बजे तक कोई डॉक्टर नहीं आया था। डॉ. मदनपाल सिंह नहीं आए तो बाद में डॉ. प्रफुल्ल को दिखाया। मेडिसिन सहित तमाम विभागों की ओपीडी में इसी तरह की समस्या है।

अब तक सिर्फ एक्सरे ही हो पाया है
कमर में असहनीय दर्द है। इलाज के लिए मधुबनी से पटना आई हूं। उम्मीद थी कि समय से पीएमसीएच में डॉक्टर देख लेंगे तो दर्द से राहत तो मिलेगी ही, घर भी समय से लौट जाऊंगी। सुबह छह बजे से ही अस्पताल में मैं, बेटा और बहू भटक रहे हैं। डॉक्टर साहब अबतक नहीं आए हैं। अबतक सिर्फ एक्सरे हो पाया है। हमने सबसे पहले लाइन में पर्चा दिया था। 10 मरीज अंदर चले गए, हमारा नाम ही नहीं पुकारा गया है। शैलो देवी, मरीज, मधुबनी 

वा खरीदने के लिए 1500 रुपए हर बार कहां से आएंगे
पीएमसीएच में अपनी बहन सलमा खातून के साथ भटकते हुए आसिफ आलम मिल गए। वह दिव्यांग हैं। पिता नहीं हैं। घर का खर्च बमुश्किल चल रहा है। सलमा के कान में कुछ परेशानी है। उसे कई बार पीएमसीएच में दिखा चुके हैं। हर बार बाहर की महंगीमहंगी दवाएं लिखी जाती हैं। शायद ही कभी कोई दवा यहां मिलती हो। बकौल आसिफ एक बार छह दवाओं में से मात्र एक दवा यहां मिली। बाजार से लेने पर 15 15 सौ रुपए खर्च हो जाते हैं। इतनी महंगी दवा भला बारबार मैं कैसे खरीद पाऊंगा।

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