पटना में मास्क का खेल शुरू
राजधानी में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और नर्स के साथ ही हजारों स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना का खौफ है। मरीजों के सीधे संपर्क में रहने वाले डॉक्टरों के पास भी बचाव का पर्याप्त संसाधन नहीं है। मास्क भी अस्पतालों में पर्याप्त उपलब्ध नहीं है, जिससे स्वास्थ्य कर्मियों के बचाव का दावा किया जा सके। शहर में आम इंसान तो और खौफ में है, क्योंकि बाजार से आवश्यक मास्क पूरी तरह से गायब हो गया है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के मिलते ही पटना के दवा मंडी से इस वायरस से बचाव के मास्क के साथ ही सैनेटाइजर भी गायब हो गए हैं।
एक झटके में पूरा बाजार खाली
कोरोना वायरस का खौफ फैलते ही उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के साथ नेपाल के बड़े कारोबारियों ने पटना से बड़े पैमाने पर मास्क व सैनेटाइजर खरीद लिए। कई कारोबारियों ने बाजार के भविष्य को देखते हुए सामान को डंप कर दिया। और अब वे चांदी काट रहे हैं। इससे बाजार को दोहरा असर पड़ा। एक तो बाजार से गुणवत्ता वाले मास्क गायब हो गए, वहीं डंप किए जाने से उनके दाम भी चार गुना से अधिक हो गए।
नकली मास्क भी बड़े पैमाने पर बेचे जा रहे है
एन-95 मास्क के नाम पर जबरदस्त कमाई हो रही है। शहर में दुकानों पर जो भी मास्क बेचे जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता जांचने वाला कोई नहीं है। जानकारों का कहना है कि एन-95 के नाम पर नकली मास्क भी बड़े पैमाने पर बेचे जा रहे हैं। बाजार का आलम ये है कि लोगों को दवा से अधिक मास्क व सैनेटाइजर की जरूरत है। आम लोगों को ऐसे अवसर पर काफी सतर्क रहने की जरूरत है।
डंप करने से बिगड़े हालात
भारत में जैसे ही कोरोना के मरीजों का लक्षण पाजेटिव मिला, पटना में भी हड़कम्प मच गया। दवा और उससे जुड़े अन्य सामानों का कारोबार करने वालों ने पहले ही भांप लिया था कि आने वाला समय मास्क और सैनेटाइजर का है। बाजार के भविष्य के पारखी कारोबारियों ने मास्क और सैनेटाइजर का स्टॉकपूरी तरह से डंप कर लिया। बाजार में उनका ही सामान बिका जिन कारोबारियों को यह अंदाजा नहीं था कि आने वाले दिनों में इसकी मांग बढ़ जाएगी।
इससे पहले मास्क का कोई खास बाजार पटना में नहीं था। अचानक से मांग के बढ़ने से सामान गायब हो गए। इसे बनाने का सामान चाइना से ही आता है। ऐसे में बाजार पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
- संतोष कुमार, सचिव, बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
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