घाट पड़ गए छोटे तो घरों की छत पर मिलकर करने लगे छठ पूजा
छठ को लेकर तैयारियां जोरों पर है। घर-घर छठी मइया के गाने बजने लगे हैं। राजधानीवासी उत्साह और जोश से लबरेज हो लोक आस्था के महापर्व को मनाने में जुट गए हैं। घाट तो घाट,अपार्टमेंट में भी छठ की रौनक दिखने लगी है। इन तैयारियों के बीच जो खास है वह है, अपार्टमेंट में छोटे गांव की झलक। परिवार से दूर रह रहे लोगों के लिए छठ पड़ोसियों के पास आने का एक बहाना बन रहा है। राजधानी में सैकड़ों अपार्टमेंट हैं, जहां छत पर छठ मनाया जाता है। व्रतियों के यहां आकर लोग प्रसाद में हाथ बंटाने से लेकर अर्घ्य देने तक में साथ रहते हैं। साथ ही रंग-बिरंगे आयोजनों का समां बंधता है और लोग चार दिन एकजुट होते हैं।
नहाय-खाय से घर में लोगों का लगने लगता है तांता
छठ को लेकर अपार्टमेंट में रौनक देखने को मिल रही है। लोग दूर-दूर से अपने घर तो लौट ही रहे हैं साथ ही जिनके घर छठ नहीं होता, वह अपने अपार्टमेंट में छठ मना रहे हैं। इनमें से कई परिवार ऐसे हैं, जो अपार्टमेंट में छठ व्रतियों के घर जाकर प्रसाद बनाने में हाथ बंटाते हैं। उनके साथ मिलकर चार दिनों तक अनुष्ठान में सहयोग देते हैं। कंकड़बाग की रहने वाली सुनीता देवी बताती हैं कि हमारे अपार्टमेंट में मामी के यहां छठ होता है। हमलोग उनके घर जाकर चार दिनों तक पूजा-पाठ में शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि दिवाली से पहले से हमलोग भी प्याज-लहसुन नहीं खाते हैं। काली पूजा से खट्टा,लाल मिर्च भी छोड़ देते हैं।
रात भर मस्ती के बाद सुबह माइक से उठने का होता है ऐलान
भिखना पहाड़ी स्थित देवाशीष अपार्टमेंट में सुबह के अर्घ्य में उठाने के लिए माइक से ऐलान किया जाता है। अपार्टमेंट में रहने वाली मीनाक्षी झा बनर्जी बताती हैं कि इस अपार्टमेंट में करीब 40 फ्लैट है। इस समय हमलोग एकजुट होकर छठ मनाते हैं। नहाय खाय से सुबह के अर्घ्य तक सभी परिवार एकसाथ होते हैं। शाम के अर्घ्य के बाद रात में कैरम, चेस, लूडो की प्रतियोगिताएं आयोजित होती है। सुबह उठने के लिए माइक से ऐलान किया जाता है। भाइयों एवं बहनों छठ के पावन अवसर पर आपलोग सभी आमंत्रित हैं। आयोजन के बस एक घंटे बचे हैं, सभी उठकर तैयार हो जाएं और छत पर इकट्ठे हों।
घाट की स्थिति के कारण छत पर छठ
राजधानी के घाटों की बदतर स्थिति और भीड़भाड़ के कारण लोग अपनी छतों पर छठ करना अधिक पसंद कर रहे हैं। गंगा घाट पर जाने में असमर्थ लोग अपने ही घर के सबसे ऊपरी तल्ले पर टैंक बनवा कर छठ करते हैं। बोरिंग रोड की अनामिका बताती हैं कि गंगा घाटों पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण अफरा तफरी का माहौल रहता है इसलिए हमलोग घर पर ही छठ करते हैं।
खरना का प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते हैं लोग
खरना के प्रसाद का विशेष महत्व है। इस दौरान कई अपार्टमेंट में दूर-दूर से लोग प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। गुड़ की खीर और घी में लगी रोटी का प्रसाद बनाने में सभी फ्लैट के लोग तो हाथ बंटाने पहुंचते ही हैं इसके साथ ही शहर के दूसरे इलाकों के सगे-संबंधी भी प्रसाद लेने आते हैं। बाजार समिति की कंचन देवी बताती हैं कि हमलोग भिखना पहाड़ी अपने रिश्तेदार के यहां जाते हैं।
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